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सुल्तानपुर के सभी BEO और शिक्षक संगठन हुए आमने-सामने, एक ओर से उठी FIR निरस्तीकरण की मांग तो दूसरी तरफ से गिरफ्तारी की डिमांड


सुलतानपुर प्रधानाध्यापक सूर्य प्रकाश द्विवेदी की आत्महत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) और सभी शिक्षक संगठन आमने-सामने हो गए हैं। BEO ने जहां साथी BEO पर प्रधानाध्यापक को आत्महत्या के लिए उकसाने की दर्ज FIR को निरस्त करने की मांग की है वही शिक्षक संगठनों ने गिरफ्तारी के लिए आवाज बुलंद कर दी है। जिले के 11 BEO ने संयुक्त रूप से एक पत्र जिलाधिकारी सुल्तानपुर को भेजा है। इसमें उल्लेख है कि कुड़वार ब्लॉक के पूरे चित्ता स्कूल में तैनात रहे प्रधानाध्यापक सूर्य प्रकाश द्विवेदी की मृत्यु पर सभी को दुःख है।

लेकिन बिना किसी प्रारंभिक जांच के शिक्षक संगठन और असामाजिक तत्वों के दबाव में प्रधानाध्यापक की मौत का दोषी खंड शिक्षा अधिकारी मनोजीत राव को मानकर कुड़वार थाने में FIR दर्ज की गई। जबकि वे एक राजपत्रित अधिकारी हैं। ऐसे में जांच के बिना FIR से हम सबमें भय और असंतोष है। सभी BEO ने FIR को निरस्त करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग किया है।उधर शुक्रवार को जिले के सभी BRC केंद्रों पर शिक्षक संगठनों, शिक्षामित्र संगठन व अनुदेशक संगठन द्वारा प्रधानाध्यापक की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। शिक्षक संगठनों ने नामजद BEO मनोजीत राव की तत्काल गिरफ्तारी की मांग उठाया है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ सुल्तानपुर के जिला मीडिया प्रभारी रणवीर सिंह ने बताया कि सभी संगठन एकजुट होकर रणनीति तैयार करने में लगे हैं। जल्द गिरफ्तारी न हुई तो संघ निर्णय लेकर संघर्ष करने हेतु सड़क पर उतरेगा। सभी BRC पर श्रद्धांजलि सभा में शिक्षकों ने जमकर शासन-प्रशासन को कोसते हुए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि चौवन घंटे तक शिक्षक का शव पड़ा रहा पर प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेगा, अंत शिक्षकों व परिवार जनों के आगे घुटने टेकते हुए FIR दर्ज किया गया। BEO ने संगठित होकर जिलाधिकारी को पत्र भेजकर भले ही साथी के लिए न्याय की गुहार लगाई हो लेकिन सोशल मीडिया पर पत्र वायरल होते ही राजपत्रित अधिकारी का टैग लगाए सभी BEO ट्रोल हो रहे हैं। उन्होंने पत्र शिक्षक संगठन के साथ 'असामाजिक तत्व' के शब्द का उल्लेख किया है। लोगों का कहना है कि क्या अब जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों को ये अधिकारी असामाजिक बना देगें। लोगों ने इसकी निंदा की है। वही ये भी कहा जा रहा है कि अपने तानाशाही रवैये को लेकर BEO पूर्व में भी विवादों में घिरे रहे हैं। लेकिन उन्हें BSA का संरक्षण प्राप्त रहा। अब इस बार उनका दांव उल्टा हो गया है।

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