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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन पूरी दुनिया में मनेगा दीपोत्सव

 


विश्वहिंदू परिषद के देश भर के शीर्ष पदाधिकारी दो दिन से अयोध्या में जुटे हैं। विहिप की केंद्रीय टोली की बैठक में रविवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियों पर चर्चा की गई महोत्सव को भी ऐतिहासिक बनाने पर मंथन हुआ। जिस दिन रामलला अपने नए मंदिर में विराजेंगे उस दिन पूरी दुनिया में दीपोत्सव मनेगा।

मठ-मंदिर, घर-घर में अनुष्ठान होगा। पूरा विश्व महोत्सव का साक्षी बन सके इसलिए लाइव प्रसारण की व्यवस्था की जाएगी। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि श्रीराम प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम को संपूर्ण विश्व में आनंदोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। देश ही नहीं विदेशों में निवास करने वाले भी इस महाेत्सव में सहभागी हों। संघ के पूर्व सह सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा राममंदिर के उद्घाटन पर रामराज्याभिषेक जैसा माहौल होगा। देश-विदेश के लोग रामभक्त मंदिर के उद्घाटन पर अयोध्या आने को आतुर हैं।  विश्वास है कि लाखों लोग रामलला के दर्शन को आएंगे बिना बुलाए आएंगे।प्राण प्रतिष्ठा के लिए 120 देशों के कलाकारों को भी आमंत्रित करने की तैयारी है। ये देश ऐसे हैं जहां राम व रामलीला की संस्कृति आज भी कायम है। इन देशों के कलाकारों को महोत्सव में आमंत्रित करने पर विचार चल रहा है। हर देश से दस-दस कलाकारों की टीम बुलाई जा सकती है। ये सांस्कृतिक मंचों पर अपनी संस्कृति के अनुरूप राम गाथा प्रस्तुत करेंगे।सूत्रों के मुताबिक दुनिया में करीब 120 देश ऐसे हैं जहां राम व रामलीला की संस्कृति आज भी कायम है। इन देशों के कलाकारों को प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आमंत्रित करने पर विचार चल रहा है। हर देश से 10-10 कलाकारों की टीम बुलाई जा सकती है। ये कलाकार प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में जगह-जगह सजने वाले सांस्कृतिक मंचों पर अपनी-अपनी संस्कृति के अनुरूप राम की गाथा प्रस्तुत करेंगे।थाईलैंड, रूस, अमेरिका, त्रिनिडाड, फिजी, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका, वियतनाम आदि देशों के कलाकार पहले भी दीपोत्सव में रामलीला मंचन करने अयोध्या आते रहे हैं। इसके अलावा देश की लोक परंपराओं की भी झलक दिखेगी। अलग-अलग राज्यों के कलाकारों को आमंत्रित करने की रूपरेखा बन रही है।तीर्थक्षेत्र ट्रस्टीज बोर्ड के मुताबिक, भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर इन कलाकारों की उपस्थिति से न केवल संबंधित देशों से हमारे सांस्कृतिक संबंध बेहतर होंगे बल्कि अधिक से अधिक युवा पीढ़ी को राम और रामायण की संस्कृति को जानने और समझने का अवसर मिलेगा। हालांकि इसको लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं हो सका है


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