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10 वर्षीय किशोर से अप्राकृतिक दुष्कर्म के दोषी को स्पेशल कोर्ट ने सुनाई 20 वर्ष के कठोर कारावास व 21 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा


सुलतानपुर बिस्कुट और टॉफी खिलाने के बहाने 10 वर्षीय किशोर को बहलाकर साथ ले जाने एवं उससे अप्राकृतिक दुष्कर्म करने के मामले में स्पेशल जज पाक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने आरोपी सरफराज उर्फ राजा को दोषी करार दिया है। अदालत ने दोषी को 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।मालूम हो कि कोतवाली देहात थाना क्षेत्र स्थित फतेपुर गांव के रहने वाले आरोपी सरफराज उर्फ राजा के खिलाफ इसी थाना क्षेत्र की रहने वाले पीड़ित किशोर के पिता ने स्थानीय थाने पर 15 सितम्बर 2020 की घटना बताते हुए मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक घटना के दिन इसी थाना क्षेत्र अंतर्गत वादी मकान निर्माण कार्य करवा रहा था,जहां गिट्टी ढुलाई का कार्य चल रहा था। आरोप के मुताबिक पीड़ित 10 वर्षीय किशोर की माता-पिता गिट्टी ढोते-ढोते थक गये थे,जिसके बाद किशोर की मां आराम करने चली गयी और उसके पिता समर्सिबल का स्टार्टर लाने चले गये। इसी दौरान किशोर खेलते-खेलते रास्ते की ओर चला गया,जहां उसे अकेला देखकर आरोपी सरफराज बिस्कुट व टॉफी खिलाने के बहाने बहलाकर उसे साथ लेकर चला गया। जहां सरफराज ने किशोर के लिए बिस्कुट-टॉफी खरीदा भी,लेकिन उसी के बाद आरोपी सरफराज किशोर से साथ मे शौच के लिए चलने की बात कहने लगा। लेकिन सरफराज की बात किशोर ने नहीं मानी और कहा तुम शौच करके आओ मैं खेत के बाहर खड़ा हूँ। यह बात सुनकर सरफराज अकेले चला तो गया लेकिन खेत मे घुसने के बाद झाड़ियों के बीच से पीछे से आकर पीड़ित किशोर का मुंह दबाकर उठा ले गया और उसके साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म किया। आरोपी सरफराज ने यह बात किसी से बताने पर किशोर को जान से मारने की धमकी भी दी। फिलहाल किशोर अपने साथ हो रहे अपराध को बर्दाश्त नहीं कर सका और चिल्लाने लगा,जिसके चिल्लाने की आवाज सुनकर आस-पास मौजूद लोग व किशोर के माता-पिता भी घटना स्थल पर पहुँच गये। मामले में आरोपी के अनुचित प्रभाव में घटना की सूचना मिलने के कई घण्टो बाद तक पुलिस के जरिये मुकदमा दर्ज करने में टाल-मटोल किया गया और किसी तरह मामला सलटाने का भी प्रयास किया गया,लेकिन तब भी बात नहीं बनी तो घटना के तीसरे दिन एफआईआर दर्ज हो सकी। मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी को जेल भेजने की कार्यवाही की। मुकदमे की तफ्तीश पूरी कर विवेचक राघवेंद्र प्रताप यादव ने आरोपी सरफराज उर्फ राजा के खिलाफ अप्राकृतिक दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट सहित अन्य आरोपो में चार्जशीट दाखिल की। इस मामले का विचारण स्पेशल जज पाक्सो एक्ट की अदालत में चला। इस दौरान विशेष लोक अभियोजक रमेशचन्द्र सिंह ने अभियोजन पक्ष से पांच गवाहो व अपने तर्को को प्रस्तुत करते हुए आरोपी को दोषी ठहराकर इस घिनौनी वारदात के लिए कड़ी से कड़ी सजा से दंडित किए जाने की मांग की। वहीं बचाव पक्ष ने आरोपी सरफ़राज़ को निर्दोष व सरकारी अस्पताल से हुए पीड़ित के मेडिकल रिपोर्ट को गलत साबित करने के लिए सुलतानपुर शहर स्थित सुरम्या हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ सुधाकर सिंह को कोर्ट में पेश किया,ताकि सरकारी अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट गलत साबित हो सके और यह साबित हो सके कि पीड़ित किशोर की स्थिति घटना के बाद भी सामान्य थी और जिस बीमारी के इलाज के लिए वह उनके हॉस्पिटल में भर्ती था उसकी वजह अप्राकृतिक दुष्कर्म नहीं थी। डॉ सुधाकर सिंह ने कोर्ट में पेश होकर आरोपी के बचाव में गवाही भी दी लेकिन विशेष लोक अभियोजक रमेशचन्द्र सिंह के जरिये की गई जिरह में यह सामने आया कि घटना से सम्बंधित किशोर एवं डॉ सुधाकर सिंह के यहां भर्ती मरीज का नाम तो एक ही था,लेकिन उनके अस्पताल से दाखिल अभिलेखों में मरीज के पिता का नाम व पता नहीं लिखा था, इसके अलावा अन्य तथ्य भी सटीक नहीं बैठ रहे थे ,जिसकी वजह से कोर्ट ने उसे विश्वनीय नहीं माना और आरोपी को कोई लाभ नहीं मिल सका। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने आरोपी सरफराज को दोषी करार देते हुए उसके जरिये एक किशोर के साथ इस तरीके के घिनौने अपराध को करने की सोच को समाज के लिए घातक मानते हुए उसे 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। इस मामले में कोर्ट की सक्रियता से पीड़ित पक्ष को घटना से करीब दो वर्ष के भीतर ही न्याय मिल गया,जिससे अन्य पीड़ित परिवारों में भी शीघ्र न्याय मिलने की उम्मीद कायम है। फिलहाल इस बात का अफसोस है कि किशोरों की इज्जत से खेलने वाले ऐसे अपराधियों की गन्दी सोच की वजह से जिस बच्चे के हंसने-खेलने व स्कूल जाने के दिन थे,उसे इतनी कम उम्र में ही बेवजह ऐसे कठिनाई भरे दौर से गुजरना पड़ा।

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