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सत्ता से सवाल करते ही बताया जाता विपक्ष का एजेंट: जय शंकर गुप्ता


सुल्तानपुर प्रेस काउंसिल के पूर्व सदस्य और देशबंधु के कार्यकारी संपादक जयशंकर गुप्त ने कहा कि आज की पत्रकारिता का बड़ा संकट है कि सत्ता पक्ष के विरुद्ध लिखते ही पत्रकार को विपक्ष का एजेंट बताया जाता है और विपक्ष से सवाल करने पर उसे सत्ता का एजेंट बता दिया जाता है। गुप्त के अनुसार यह सेल्फी पत्रकारिता का दौर है । समाचार माध्यमों में पूंजी लगाने वालों के स्वार्थ हावी हैं और जनसरोकार लापता हैं।  रविवार को आदर्श मैरिज लॉन में श्रमजीवी पत्रकार यूनियन  द्वारा आयोजित 'पत्रकार एवं पत्रकारिता' विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री गुप्त ने कहा कि पत्रकार को सत्ता का दलाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने अपने लंबे पत्रकारीय जीवन के अनेक अनुभव साझा किए। उन्हें बताते हुए कई अवसरों पर वे भावुक भी हुए।  कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारिता कारपोरेट जगत की स्वार्थसिद्धि का जरिए बन गई है। चैनलों पर साम्प्रदायिकता का जहर घोला और परोसा जा रहा है। अर्थव्यवस्था  खतरनाक मोड़ पर है और उसके खतरों को लेकर मीडिया उदासीन हैं। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति और उनकी असुरक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि इसे लेकर मीडिया की उदासीनता चिंता का विषय है। गुप्त ने सवाल किया कि जो सच है , उसे कौन छापेगा? जिलों और ग्रामीण अंचलों के पत्रकारों की बड़ी भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि खबरें देने के मामले में उन्हें दिन - रात ड्यूटी निभानी है लेकिन भुगतान के नाम पर मीडिया संस्थान या तो कुछ नहीं या फिर नाम मात्र की राशि देते हैं। आखिर उनकी कब और कौन सुनेगा ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार एवं इतिहासकार राज खन्ना ने कहा कि सत्ता का साथ पत्रकार को निष्पक्ष और अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार नहीं रहने देता। पत्रकारिता आज जिस दौर से गुजर रही है , उसमें अंदर से भी खतरा और बाहर से भी खतरा है। सत्ता को सब कुछ अपने अनुकूल चाहिए। दूसरी ओर मीडिया संस्थान स्वार्थों के लिए अपनी आजादी को खुद ही गिरवी रख रहे हैं।  सत्ता नाराज होती है तो पत्रकार पर मुकदमे लाद कर जेल भेजने का इंतजाम करती है। दूसरी ओर विपक्ष भी असहज सवाल सुनने को तैयार नहीं। वह सवाल पर जाति पूछता है और उसके समर्थक मौके पर ही पिटाई कर देते हैं। खन्ना ने कहा कि  कि सत्य भी पालों में बंट गया है। एक के  लिए जो सत्य है वो दूसरे के लिए झूठ है। इस संकट में जो न किसी के अंध भक्त हैं और न अंध विरोधी और जिन्हें एक पाठक, दर्शक और श्रोता के रूप में सच की तलाश है , वे कहां जाएं।

 विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ राज्य के यूएनआई प्रभारी अशोक साहू ने कहा कि वर्तमान समय की पत्रकारिता चुनौतियों से भरी है। कल संसाधन कम थे लेकिन खबरों पर लोगों को भरोसा था। आज संसाधन खूब हैं, पर लोगों को अब खबरों पर विश्वास नहीं रहा। पत्रकारिता की सबसे बड़ी पूंजी और ताकत  पाठकों और दर्शकों का भरोसा है। आज की पत्रकारिता उसी भरोसे के संकट से रूबरू है। इस अवसर पर पत्रकार रमाकांत बरनवाल, राजेंद्र यादव, कलीम खान एवं सत्य प्रकाश श्रीवास्तव को पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक चेतना जागृत करने में अहर्निश तत्परता के उत्कृष्ट योगदान के लिए अतिथियों द्वारा प्रशस्ति पत्र , अंगवस्त्र और पुष्प भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कई पत्रकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार  जीतेन्द्र श्रीवास्तव तथा आभार प्रदर्शन जिलाध्यक्ष दर्शन साहू ने किया।

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