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अच्छी पुस्तकें हमें प्रेरणा देती हैं, जिन्हें पढ़ने से व्यक्तित्व में निखार आता है - राज्यपाल


सुलतानपुर मानवता का विकास जितना संस्मरण लिखने वालों ने किया है उतना दूसरों ने नही।  जिन्होंने यात्राओं का संस्मरण लिखा उन्होंने समाज की बड़ी सेवा की।  एमपी सिंह ने अपने अनुभवों के जरिये एक दूसरे से जोड़ने का काम किया है।  बहुत से अनुभव की अभिव्यक्ति नही हो पाती उसका एहसास होता है। पुस्तकों के जरिये उसे व्यक्त करना भी सेवा है।  यह बातें सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कही।  क्षत्रिय भवन सभागार में राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष व  भाजपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य डॉ.एम.पी.सिंह की दो कृतियों 'हिमालय के आंगन से' 'बिरवा' के लोकार्पण समारोह व कृति चर्चा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पधारे लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि अच्छी पुस्तकें हमें प्रेरणा देती हैं। इन्हें पढ़ने से व्यक्तित्व में परिवर्तन आता है।  पुस्तकें सह यात्री हैं।  जीवन में निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है कहना अतिश्योक्ति नही होगा।  राज्यपाल ने कहा कि आज भारत अपने सांस्कतिक अनुभव को आकार ले रहा है। ऐसे समय में डॉ एमपी सिंह की  'हिमालय के आंगन से' नामक यह कृति सिक्किम के पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही जहां नई समृद्धि सोच में बढ़ावा देगी, वहीं राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में भी सहायक सिद्ध होगी।  राज्यपाल ने लेखक डॉ.एम.पी.सिंह से अपने जुड़े संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि उनके हर स्वभाव से मैं परिचित हैं।  उनके साथ काम किया है।   तिरंगा यात्रा दौरान कश्मीर में हम सब साथ थे।  श्री सिंह ने पूर्वोत्तर राज्यों का भ्रमण कर उसके बारे में जो कुछ लिखा है उसे पढ़ कर देश विदेश के पर्यटक इन क्षेत्रों में भ्रमण के लिए काफी आकर्षित होंगे।विशिष्ट अतिथि केएनआई के पूर्व प्राचार्य प्रो राधेश्याम सिंह ने कहा कि बिरवा काव्य संग्रह पके हुए कवि की नवोदित कृति है। संवेदना,दर्शन और रमणीयता इन कविताओं के केंद्र में हैं। इस कृति में प्रकृति संरक्षण, प्रेम, आत्मा की यात्रा व पीढ़ियों का द्वंद आदि की कविता महत्वपूर्ण है। यह पहला संग्रह बताता है कि डॉ.एम.पी.सिंह प्रौढ़ सजग व संवेदनशील कवि हैं।  डॉ.एम.पी.सिंह ने अपनी दोनों कृतियों की चर्चा करते हुए कहा कि 'हिमालय के आंगन से' पुस्तक में कश्मीर, दार्जिलिंग और सिक्किम की यात्राओं पर संस्मरण लिखे गए हैं, वहीं 'बिरवा' पुस्तक में विभिन्न समयों पर उपजी बत्तीस कविताओं का संग्रह है।  कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने कहा कि समसामयिक परिस्थितियों को पाकर ही अंदर की शक्तियां उभरती हैं। श्री सिंह का सृजन लेखन प्रभावी एवं साहित्यिक है। उनकी यह दोनों कृत साहित्य जगत का अनूठा उपहार है।समारोह में आए अतिथियों का स्वागत भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ आरए वर्मा , आभार क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष संजय सिंह एवं कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर निशा सिंह ने किया।क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष संजय सिंह ने अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह देकर मुख्य अतिथि को सम्मानित किया।  नगर पालिका अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल, एमजीएस इंटर कालेज के प्रबंधक डॉ विनोद सिंह, प्रधानाचार्य महेश सिंह, भाजपा नेता राम चंद्र मिश्र आदि ने भी स्मृति चिन्ह भेंट कर मुख्य अतिथि का स्वागत किया।पुस्तक के लेखक  डॉ.एमपी सिंह ने जिले की मशहूर बाध से बनी सामग्रियाँ देकर अतिथियों का सम्मान किया।  कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण  के साथ एवं समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।  समारोह में राणा प्रताप पीजी कालेज के प्रबंधक बालचंद्र सिंह, प्राचार्य दिनेश कुमार त्रिपाठी, डॉ.जे.पी.सिंह , डॉ.ए.के.सिंह , पूर्व मंत्री ओम प्रकाश पाण्डेय, ब्लाक प्रमुख शिव कुमार सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जगजीत सिंह छंगू , सीता सरण त्रिपाठी, मीडिया प्रभारी विजय सिंह रघुवंशी,  सपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेशीय नेता राकेश प्रताप सिंह समेत काफी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी शख्सियतें उपस्थित रहीं।

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