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डीएम ने फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु प्रचार-प्रसार वाहन को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना


सुलतानपुर प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट में पराली/फसल अवशेष जलाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिये एवं जलाने से होने वाली हानि के सन्दर्भ में जनपद के कलेक्ट्रेट परिसर से जिलाधिकारी कृत्तिका  ज्योत्स्ना व मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।, जो कि जनपद के समस्त विकास खण्डों में कृषकों के मध्य पहुंच कर पराली जलाने से होने वाले हानि एवं अवशेषों के प्रबन्धन के उपाय के बारे में जागरूक करने का कार्य करेगा।  जिलाधिकारी ने उप कृषि निदेशक व समस्त उपजिलाधिकारी को निर्देशित किया  कि ग्राम पंचायत/न्याय पंचायत स्तर के कार्मिकों से कृषकों के मध्य लीफलेट, डिकम्पोजर के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करायें, अर्थदण्ड एवं कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई कर रही मशीनों में एस.एम.एस. अनिवार्य रूप से लगा, जिस भी कम्बाइन में एस.एम.एस. न लगा हो अथवा फसल प्रबन्धन के यन्त्र न हो, तो सीज करने की कार्यवाही की जायेगी। पराली खेतों में जलाने पर लगने वाला अर्थदण्डः- 02 एकड़ से कम पर दो हजार पॉच सौ रूपये, 2 से 5 एकड़ पर पॉच हजार रूपये तथा 5 एकड़ से अधिक पर पन्द्रह हजार रूपये का जुर्माना निर्धारित किया ।   उन्होंने जनपद के सभी किसान बन्धुओं से अनुरोध किया है कि फसल अवशेष/अपशिष्ट कदापि न जलायें, बल्कि उपरोक्त यंत्रों एवं डि-कम्पोजर का प्रयोग कर पराली को जैविक खाद में परिवर्तित कर खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ायें। शासन द्वारा फसल अवशेषों को जलाने से रोकने हेतु इन-सीटू योजनान्तर्गत फसल अवशेष प्रबन्धन के लिये हैप्पी सीडर, रीपर कम बाइन्डर, सुपर सीडर, पैडी स्ट्रा चॉपर, मल्चर, रोटरी स्लेसर, श्रैडर, श्रब मास्टर, आर0एम0बी0 प्लाऊ, जीरेटिल, बेलिंग मशीन, स्ट्रा रेक, रीपर, एस.एम.एस. आदि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा।   इस अवसर पर उप कृषि निदेशक रामाश्रय यादव,जिला कृषि अधिकारी सदानंद चौधरी सहित अन्य सम्बन्धित उपस्थित रहे।

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