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अभिभावकों को खास दुकान से किताबें व यूनिफॉर्म खरीद के लिए न करें बाध्य


मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने यूनिफॉर्म व कॉपी किताबों के नाम पर कुछ स्कूलों में अभिभावकों का शोषण किए जाने की शिकायतें रोकने संबंधी निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि विद्यालय परिसरों में यूनिफॉर्म, जूते, मोजे व किताबों की बिक्री न की जाए। साथ ही किसी एजेंट के माध्यम से किताबें खरीदने या किसी विशिष्ट दुकान से खरीदने के लिए भी अभिभावकों को बाध्य ना किया जाए। उन्होंने इस संबंध में जारी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को प्रत्येक विद्यालय के प्रबंधक या प्रधानाचार्य से लिखित शपथ पत्र लेने के निर्देश दिए हैं।
मंडलायुक्त ने यह निर्देश लखनऊ के अलावा सीतापुर, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव व लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारियों को जारी किए हैं। उन्होंने ये निर्देश उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 यथा संशोधित की व्यवस्था के अनुसार दिए हैं। निर्देशों के तहत कहा गया है कि सत्र के प्रारंभ में जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष प्रत्येक मान्यता प्राप्त विद्यालय द्वारा आगामी शैक्षिक सत्र के दौरान प्रस्तावित शुल्क का विवरण प्रस्तुत किया जाए। साथ ही यह विवरण विद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट व सूचना पट पर भी प्रदर्शित किया जाए।इसके अलावा नियमित रूप से पठन-पाठन के लिए निर्धारित पुस्तकें भी गुणवत्ता के आधार पर ऐसे प्रकाशकों की निर्धारित की जाएं जिनकी कीमत अपेक्षाकृत कम हो। विद्यालय में छात्रों के प्रयोग के लिए शासकीय प्रकाशन यानी एनसीईआरटी की पुस्तकें अधिक से अधिक इस्तेमाल की जाएं। विद्यालय अलग से अपने विद्यालय में प्रयोग के लिए पुस्तकों का विद्यालय के नाम सहित प्रकाशन ना कराएं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि छात्रों को पुस्तकों की सूची दी जाए और उन्हें खरीदने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। कक्षावार पुस्तकों की सूची नोटिस बोर्ड व विद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर प्रेषित की जाए। एक ही कक्षा की किताबें बार-बार न बदली जाएं जिससे वरिष्ठ छात्रों की पुरानी पुस्तकें इस्तेमाल में आ सकें। विद्यालय में एक पुस्तक बैंक बनाया जाए और पिछले सत्र की किताबें जरूरत के अनुसार विद्यार्थियों को वितरित की जाएं। परीक्षा के जरूरी सामग्री जैसे एटलस, शब्दकोष की भी खरीद हर साल न कराई जाए। यूनिफार्म में परिवर्तन भी निरंतर शैक्षणिक वर्षों के भीतर न किया जाए। परिवर्तन जरूरी हो तो नियमानुसार किया जाए। इसके अलावा पुस्तक विक्रेता, एजेंट या प्रकाशक पुस्तकों का अवैध भंडारन नहीं कर सकेंगे।


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