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100 रु की रिश्वत पड़ी भारी,89 साल की उम्र में हुई सजा

 


लखनऊ में रिश्वत लेने के मामले में एक अनोखा मामला सामने आया है। इस बार CBI  कोर्ट ने 32 साल पहले 100 रुपए की रिश्वत लेने के मामले में आरोपी रेलवे हेड क्लर्क को दोषी करार दिया है। सजा के लिए उसे एक साल की कैद भी काटनी होगी।CBI भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने सजा के साथ ही दोषी पर 15000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।क्लर्क की उम्र अब 89 साल हो चुकी है।इस पूरे मामले में शिकायतकर्ता की भी मौत हो चुकी है। CBI के अधिवक्ता की मानें तो आलमबाग लोको फोरमैन कार्यालय में तैनात लोको पायलट राम तिवारी ने 6 अगस्त 1991 को SP CBI से शिकायत की थी कि वह अपनी पेंशन बेचना चाहते थे। जिसके लिए दोबारा मेडिकल होना था। वह इसके लिए उत्तर रेलवे अस्पताल में तैनात हेड क्लर्क आरएन वर्मा से 19 जुलाई 1991 को मिले थे।शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि आरएन वर्मा ने जल्दी मेडिकल कराने के नाम पर उनसे 150 रुपए की रिश्वत मांगी थी। मेडिकल के लिए दोबारा 5 अगस्त 1991 को रेलवे अस्पताल गए तो आरएन वर्मा ने कहा कि जब तक 150 रुपए नहीं दिए जाएंगे तब तक काम नहीं होगा।उस समय लोको पायलट रामकुमार किसी तरह 50 रुपए का इंतजाम कर उसे दिया था।जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता काफी गरीब था। किसी तरह उसने 50 रुपए दिए थे। लेकिन आरोपी ने 100 रुपए चुकाए बिना प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया था। इससे परेशान होकर पीड़ित रामकुमार तिवारी ने मामले की शिकायत CBI पुलिस के अधीक्षक से की थी।SP की ओर से शिकायतकर्ता रामकुमार तिवारी को 50-50 रुपए के दो नोट दिए गए थे और कहा गया था कि वह घूस मांगने वाले बाबू आरएन वर्मा को पास के ढाबे पर बुलाए। ढाबे पर CBI की टीम ने आरएन वर्मा को मौके से ही घूस लेते पकड़ लिया था।कोर्ट में मामला इतने सालों तक चलने और तारीख पर तारीख मिलने की वजह से अब शिकायतकर्ता की मौत हो चुकी है।यही नहीं उम्र के इस पड़ाव पर आकर आरोपी ने भी हाईकोर्ट में इस मामले को शीघ्र निस्तारित किए जाने की अपील दाखिल की है। इस पर हाईकोर्ट ने CBI की विशेष कोर्ट को 6 माह में मामले का निस्तारण कर केस खत्म करने का भी निर्देश दिया हैCBI अदालत की ओर से अपने निर्णय में यह कहा गया है कि आरोपी की आयु और उसके पास से बरामद रिश्वत की राशि को देखा जाए तो यह कोई बहुत बड़ा मामला नहीं हैलेकिन 32 साल पहले 100 रुपए की राशि भी जरूरतमंद के लिए बहुत अधिक हुआ करती थी जिसे पेंशन के रूप में मात्र 382 रुपए मिलते थे अदालत ने कहा कि यदि आरोपी को उसके द्वारा किए गए कृत्य के लिए दंडित नहीं किया जाएगा तो समाज में विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

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