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निकाय चुनाव, ओबीसी आरक्षण मामले पर हाईकोर्ट सुना सकता है फैसला

 


लखनऊ उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव  को लेकर मंगलवार को बड़ा दिन है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी जनहित याचिका पर मंगलवार को फ़ैसला सुना सकती है।हाईकोर्ट में सरकार और वादी पक्ष की ओर से दलीलें पेश की जा चुकी हैं।दरअसल निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण में नियमों को दरकिनार कर आरक्षण जारी करने का आरोप लगाया गया है।पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। फिलहाल 27 दिसम्बर यानी मंगलवार तक हाईकोर्ट ने तारीखों के ऐलान पर अंतरिम रोक लगा रखी है। ऐसे में UP की सियासत को लेकर मंगलवार का दिन बेहद अहम है। यदि याचिका खारिज हुई तो फरवरी में चुनाव संभव होंगे। क्योंकि आरक्षण रद्द हुआ तो फिर शुरू सारी कवायद शुरू होगी।इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव मुद्दे पर बीते शनिवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने पिछले एक पखवाड़े से चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक लगाई है। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवनिया की पीठ ने वैभव पांडेय एवं अन्य की र से दायर जनहित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है।याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा पेश हुए थे और उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण, सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में दिए जाने वाले आरक्षण से अलग है। चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षण राजनीतिक है ना कि सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक तौर पर।

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