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रेप और धर्म परिवर्तन का आरोप झूठा निकला,जेल से 14 माह बाद युवक की रिहाई, युवती पर चलेगा केस

 


लखनऊ मुजफ्फरनगर के युवक पर धर्म परिवर्तन करवाने और रेप का आरोप लगा। युवक को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। 14 माह जेल में रहकर युवक रिहा हुआ। लेकिन उससे पहले कोर्ट ने झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आरोप में युवती पर ही कार्रवाई का आदेश दिया। अब कोर्ट के आदेश पर एफआईआर कराने वाली युवती पर मुकदमा चलेगा।नई मंडी कोतवाली में एक युवती ने 10 फरवरी 2021 को गांव संधावली निवासी वसीम सक्का उर्फ आकाश पर मुकदमा दर्ज कराते हुए आरो लगाया था कि उसने अपने कमरे पर ले जाकर युवती से रेप किया था। इससे पहले से नशा मिला कोल्ड ड्रिंक पिलाई गई थी। जिसके बाद धोखे से अश्लील फिल्म बनाई और धमकी देकर उसका बार-बार यौन शोषण किया गया।आरोप था कि इसके उपरांत वसीम सक्का ने अपना नाम आकाश बताते हुए 3 जुलाई 2021 को हरिद्वार नारायण मंदिर में ले जाकर हिंदू रीति रिवाज से विवाह किया। युवती ने आरोप लगाया थाक विवाह उपरांत उसको गाय का मांस लाकर बनाने के लिए दिया गया और वसीम ने अपने आपको को मुसलमान बताते हुए धर्म परिवर्तन करने के लिए बाध्य भी किया।युवती की तहरीर पर नई मंडी कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी वसीम सक्का उर्फ आकाश को अरेस्ट कर जेल भेज दिया था। घटना के मुकदमे की विवेचना सीओ नई मंडी  ने की थी और कोर्ट में वसीम के विरुद्ध सह धर्म परिवर्तन, एससीएसटी एक्ट और रेप तथा कई अन्य धाराओं में चार्जशीट बनाकर कोर्ट में दाखिल की थी।बचाव पक्ष के अधिवक्ता नवाब अली चौधरी ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई विशेष एससी-एसटी जज जमशेद अली ने की।उन्होंने बताया कि कोर्ट में तथाकथित पीड़िता सच्चाई बयान करते हुए एफआइआर में लगाए गए आरोपों से मुकर गई। बताया कि वादी मुकदमा ने कोर्ट में साफ कहा कि उससे कुछ लोगों ने लिखी गई तरहीर पर हस्ताक्षर कराए थे। उसे नहीं मालूम उसमें क्या लिखा था।उसने वसीम उर्फ सुक्का पर लगाए गए धर्म परिवर्तन कराने, रेप और अन्य आरोपों से साफ इंकार करते हुए कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था। अभियोजन की याचना पर कोर्ट ने वादी मुकदमा और उसके स्वजन को दिये गए बयानों पर पक्षद्रोही करार दिया।बचाव पक्ष के वकील नवाब अली चौधरी ने बताया कि एससी-एसटी कोर्ट के जज जमशेद अली ने घटना के मुकदमे की सुनवाई की। बताया कि कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में वसीम उर्फ सक्का को बरी कर दिया और मिथ्या आरोप लगाने व झूठे साक्ष्य प्रस्तुत करने पर वादी मुकदमा यानी तथाकथित पीड़िता के विरुद्ध ही मुकदमे की कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिये।

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