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परचून की दुकान पर नहीं बिकेंगी आयुर्वेदिक दवाएं

 


लखनऊ उत्तर प्रदेश में परचून की दुकानों या जनरल स्टोर से आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री नहीं हो पाएगी। इस पर रोक के लिए जल्द ही नई नियमावली तैयार की जाएगी। इसके तहत ब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री के लिए फार्मासिस्ट व लाइसेंस प्रणाली के अलावा दवा निर्माण में आयुर्वेदिक फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता लागू की जाएगी। दरअसल कोराना काल के बाद आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। इसका बाजार निरंतर बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार आयुर्वेदिक दवाओं की गुणवत्ता को लेकर गंभीर है। इसी के तहत सभी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों को हर माह कम से कम दो दवाओं के सैंपल लेकर जांच के निर्देश दिए गए हैं। घटिया दवा तैयार करने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। आयुर्वेद विभाग का मानना है कि लाइसेंस प्रणाली लागू होने से आयुर्वेदिक दवा दुकानों पर लोगों को सही जानकारी मिलेगी। गुणवत्ता विहीन दवा बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विभाग विभिन्न राज्यों में तैयार की गई नियमावली का अध्ययन भी करा रहा है। आयुष मंत्रालय से भी सलाह ली गई है। सभी रिपोर्ट का मूल्यांकन करने के बाद प्रदेश में नई नियमावली तैयार कर लागू की जाएगी।निदेशक आयुर्वेद प्रो. एसएन सिंह ने कहा कि नई व्यवस्था से इस विधा के फार्मेसिस्टों को रोजगार मिलेगा। दवा निर्माण से लेकर बिक्री तक की गुणवत्ता बढ़ेगी। विभाग के पास अधिकृत दुकानों की संख्या पता रहेगी। लाइसेंस खोने के डर से दुकानदार घटिया दवा बेचने से बचेंगे। नीम-हकीम जैसे झोलाछाप से लोग बचेंगे। आयुर्वेद के क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी। 

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