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12 साल की बच्‍ची ने बच्‍चे को दिया जन्‍म,कोर्ट करेगी मां-बेटे के भविष्‍य का फैसला

 


लखनऊ मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती 12 साल की एक बच्‍ची ने बच्‍चे को जन्‍म दिया।  किसी घर में किलकारी गूंजे तो खुशियां मनाई जाती हैं, लेकिन सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई मेडिकल कॉलेज में भर्ती 12 साल की बच्ची के मां बनने के बाद परिजन पूरी तरह से टूट गए हैं। मां बनी बच्ची अभी तक हकीकत से अंजान हैं। परिजनों द्वारा नवजात को पैदा होने के बाद ही नकार दिया गया। तीन दिन का नवजात नीकू वॉर्ड में एडमिट है। अब मां-बच्‍चे के भविष्‍य का फैसला अदालत करेगी।बच्‍ची के पिता का कहना है कि उनकी फूल सी बच्ची का जीवन बर्बाद हो गया। नवजात को अपनाना तो दूर, उसका मुंह तक नहीं देख सकती...। पिता ने कहाा-'मेरा कलेजा फट जाना चाहता है।' गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी में गैंगरेप की शिकार हुई इस बच्ची ने बुधवार को सिजेरियन प्रसव के बाद बेटे को जन्म दिया। कोर्ट के फैसले के बाद अब नवजात के भविष्य का फैसला होगा। बच्ची के परिजनों का कहना है कि वह किसी भी सूरत में इस नवजात को नहीं अपनाएंगे। बच्ची के पिता के अनुसार वह और उनकी पत्नी दोनों प्राइवेट नौकरी करते हैं। बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ती है। बेटी के साथ हुए दुष्कर्म का उन्हें बीते महीने ही पता चला। बेटी का पेट बढ़ता देख कुछ शक हुआ। उसकी मां के कहने पर किट से प्रेग्नेंसी टेस्ट किया। रिजल्ट पॉजिटिव आया तब दोनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। चिकित्सक से संपर्क करने पर पता चला की बेटी आठ महीने की गर्भवती है।पिता ने बताया कि जनवरी में उनके फ्लैट के नीचे फर्स्ट फ्लोर पर रहने वाले लड़कों ने उनकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। पहले 21-22 साल के लड़के ने उनके ही फ्लैट पर आकर बेटी को डरा-धमकाकर दुष्कर्म किया। वह लगातार ऐसा करता रहा।इसके बाद उसके भाई ने भी बेटी के साथ दुष्कर्म किया। वह बेटी को धमकाते रहे कि अगर किसी को बताया तो तेरे मां-बाप को मार देंगे। इसके बाद फ्लैट में रहने वाली 15-16 साल की एक लड़की ने कुछ पैसों के लालच में किसी और लड़के को बेटी को सौंप दिया। वह भी बेटी के साथ दुष्कर्म करता रहा। मामले की जानकारी के बाद उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज कराया। बच्ची की मां ने बताया कि बेटी सितंबर तक स्कूल जा रही थी। वह गर्भवती है ऐसा कोई भी लक्षण उसमें नजर नहीं आया। प्रसव के समय तक भी वह सामान्य ही रही। यहां तक कि उसे अभी भी यह नहीं पता कि वह मां बन गई है। अस्पताल लाते समय उसे बताया कि पथरी है और इसका ऑपरेशन कराया है। मां का कहना है कि जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन बेटी के भविष्य को भी खराब नहीं किया जा सकता है। इसलिए बच्चे को नहीं अपनाया जा सकता है। 12 साल की लड़की का प्रसव चिकित्सकों के लिए आसान नहीं था। प्रसव के दौरान लड़की का हीमोग्लोबिन बहुत कम था। मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा था। पिता ने बताया कि चिकित्सकों ने पहले ही बता दिया था कि स्थिति बहुत क्रिटिकल है। हो सकता है दोनों में से कोई एक ही बचे। बच्ची के डीएनए टेस्ट के लिए गाजियाबाद पुलिस की टीम ने शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज पहुंचकर सैंपल कलेक्ट किया। जांच रिपोर्ट आने के बाद तीनों आरोपियों में से नवजात के पिता की पहचान हो पाएगी। तीन दिन का नवजात जिसे न मां का आंचल मिला न ही पिता का साया। मेडिकल कॉलेज के नीकू वॉर्ड में चिकित्सकों की देखरेख में वह पल रहा है। बार-बार रोते-बिलखता वह मानो यही पूछ रहा है कि मेरा क्या कसूर है। चिकित्सकों के अनुसार बच्चा स्वस्थ है। उसका वजन तीन किलो है।

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