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प्रधानमंत्री ने कहा-भारत कठिन से कठिन फैसले भी ले सकता है

                                             

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों ने दुश्मनों को एक नए भारत के उदय का संदेश दिया है। ये बताता है कि भारत बदल रहा है। 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत कठिन से कठिन फैसले भी ले सकता है और कड़े से कड़े फैसले लेने में भी झिझकता नहीं है, रुकता नहीं है।चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि आज दुनिया, भारत को एक नए नजरिए से देख रही है और इसके दो अहम पहलू हैं। एक आतंकवाद और दूसरा विस्तारवाद। भारत इन दोनों ही चुनौतियों से लड़ रहा है और सधे हुए तरीके से बड़े हिम्मत के साथ जवाब भी दे रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं। देश की सुरक्षा के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रकृति बदल गई है और कोरोना वायरस महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था की संभावना है। भारत ने दुनिया के प्रयासों को देखा है और इसकी सराहना भी की है।प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत आज अपना लड़ाकू विमान बना रहा है, सबमरीन बना रहा है, गगनयान भी बना रहा है। ये स्वदेशी मैन्यूफैक्चरिंग में भारत के सामर्थ्य को उजागर करता है। भारत को आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण में होलिस्टिक अप्रोच अपनाने की भी जरूरत है।'उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को समुद्र में ट्रायल के लिए उतारा है। विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए भारत को अपनी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट, दोनों को बढ़ाना होगा। भारत आने वाले कुछ ही समय में प्रधानमंत्री गतिशक्ति- नेशनल मास्टर प्लान को लॉन्च करने जा रहा है।प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टर्स, नर्स और वैज्ञानिकों के काम की सराहना की। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से उन्होंने कहा, 'कोरोना वैश्विक महामारी में हमारे डॉक्टर, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी, वैक्सीन बनाने मे जुटे वैज्ञानिक हों, सेवा में जुटे नागरिक हों, वे सब भी वंदन के अधिकारी हैं।'पीएम ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों, उद्यमियों की ताकत का ये परिणाम है कि भारत को वैक्सीन के लिए आज किसी और देश पर निर्भर नहीं होना पड़ा।

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