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एटा में खाने का बिल मांगने पर ढाबा मालिक समेत 10 लोगों को फर्जी केस में फंसाया, पुलिस ने आरोपी पुलिसकर्मियों पर दर्ज किया केस


लखनऊएटा जिले में फर्जी मुठभेड़ का मामला सामने आया है। आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने खाने का बिल मांगने पर दिव्यांग ढाबा संचालक और उसके भाई समेत स्टॉफ के 11 लोगों को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जमानत पर छूटने के बाद ढाबा संचालक ने मामले की शिकायत जिलाधिकारी  डॉ. विभा चहल से की तो उन्होंने इसकी जांच अपर पुलिस अधीक्षक क्राइम राहुल कुमार से कराई। जांच में पुलिस का दावा झूठा निकला।इसके बाद आगरा जोन के ADG राजीव कृष्ण के आदेश पर देहात कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर इंद्रेश पाल सिंह, सिपाही संतोष यादव और शैलेन्द्र यादव पर केस दर्ज किया गया। आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम दबिश दे रही हैं।4 फरवरी को आगरा रोड स्थित ढाबे पर कुछ पुलिसकर्मी खाना खाने पहुंचे। प्रवीण ने खाने के बिल का 450 रुपए मांगे। लेकिन पुलिसकर्मियों ने महज 100 रुपए दिए। बाकी के रुपए देने की बात को लेकर बहस हुई थी। बस यहीं से उसके ऊपर पुलिस का कहर टूट पड़ा। देहात कोतवाली से तीन गाड़ी पुलिस फोर्स बुलाकर ढाबे में उस समय मौजूद 11 लोगों को पुलिस जीप में बैठाकर कोतवाली देहात थाने ले आए। वहां लाकर एक आरोपी को 1 लाख रुपए लेकर छोड़ दिया और अन्य सभी 10 को फर्जी पुलिस मुठभेड़ में शराब, गांजा तस्करी, दफा 25, आदि में मुकदमा लिखकर जेल भेज दिया।कथित आरोपी राहुल कुमार ने इस फर्जी मुठभेड़ की पूरी कहानी को जिलाधिकारी को बताया था। कहा कि 5 फरवरी को वह पुलिस कस्टडी में था। इस दौरान पुलिस वालों ने सुबह 10 बजे थाना परिसर में ही तमंचे से 6 बार गोली चलाई। राहुल कुमार ने तमंचों के फिंगर प्रिंट लेकर भी जांच करने की मांग की है। उसने ये भी बताया एटा के रहने वाले एक आरोपी बनाए गए युवक को पुलिस ने एक लाख रुपए लेकर थाने से छोड़ भी दिया। राहुल कुमार के साथ ही ढाबे पर खाना खा रहे उसके तीन अन्य साथियों को भी फर्जी मुठभेड़ में जेल भेज दिया गया था।

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