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वैक्सीन के पहले चरण का ट्रायल सफल


नई दिल्ली। स्वदेशी रूप से विकसित कोविड-19 कोवाक्सिन भारत बायोटेक के पहले चरण के  क्लिनिकल ट्रायल के अंतरिम निष्कर्षों से पता चला कि इसकी सभी खुराकों को परीक्षण होने वाले समूहों ने अच्छी तरह से सहन किया। इसमें कोई गंभीर या प्रतिकूल प्रभाव सामने नहीं आया। एक प्रीप्रिंट सर्वर मेड्रैक्सिव पर आए निष्कर्षों के अनुसार, कोविड-19 से स्वस्थ हुए मरीजों से एकत्रित किए गए लार पर टीके ने मजबूत असर दिखाया और एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को बेअसर किया। प्रीप्रिंट सार्वजनिक सर्वर पर जारी एक ऐसा वैज्ञानिक पांडुलिपि का संस्करण है जो परीक्षण से पहले समीक्षा में जाता है। निष्कर्षों से पता चला है कि इसमें केवल एक गंभीर प्रतिकूल घटना की सूचना आई थी हालांकि बाद में इस टीके से उसका संबंध नहीं पाया गया। यह कोवाक्सिन अथवा कोवैक्सीन   की सुरक्षा और प्रतिरक्षण क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए एक डबल-ब्लाइंड रैंडम नियंत्रित पहले चरण का नैदानिक परीक्षण था। दस्तावेज़ में उल्लेख किया गया है कि बीबीवी152 को 2 डिग्री सेल्सियस और 8 डिग्री सेल्सियस के बीच संग्रहीत किया जाता है, जो सभी राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम कोल्ड चेन की आवश्यकताओं के अनुरूप है और इससे आगे प्रभावी परीक्षण होते हैं।सार्स-कोव-2 वैक्सीन बीबीवी 152 की एक निष्क्रिय सुरक्षा और प्रतिरक्षण परीक्षण के पहले चरण के अनुसार: टीकाकरण के बाद स्थानीय और प्रणालीगत प्रतिकूल घटनाओं को गंभीरता से हल्के या मध्यम रूप से हल किया गया था और किसी भी निर्धारित दवा के बिना तेजी से हल किया गया। दूसरे खुराक के बाद भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखी गई। इंजेक्शन स्थल पर दर्द आम तौर पर होने वाले दर्दे के जैसा ही था।परीक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, जो एक प्रतिकूल प्रभाव देखा गया वह यह था कि प्रतिभागी को 30 जुलाई को टीका लगाया गया था। पांच दिन बाद, प्रतिभागी ने कोविड -19 के लक्षणों की सूचना दी और मरीज को सार्स-कोव--2 का पॉजिटिव पाया गया।

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