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गिरफ्तार आतंकी डॉक्टरों के बैंक खातों से चौंकाने वाला खुलासा

 


दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े फरीदाबाद मॉड्यूल के कथित आतंकी फंडिंग केस में गिरफ्तार किए गए चार डॉक्टरों के बैंक खातों की गहन जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं सूत्रों के अनुसार पिछले सात वर्षों में इनके खातों से 40 करोड़ रुपये से अधिक का संदिग्ध लेन-देन हुआ हैजो आतंकी गतिविधियों को फंडिंग का बड़ा संकेत दे रहा हैजांच एजेंसी के अधिकारियों ने खातों की डीप लेयर तक जांच की तो पाया कि पैसा ज्यादातर छोटे-छोटे अमाउंट में बार-बार आता और जाता रहा कई खाते 2021 के बाद पूरी तरह निष्क्रिय हो गए जबकि कुछ में हर हफ्ते दो-तीन बार 20 से 25 हजार रुपये के ट्रांजैक्शन लगातार चलते रहेसबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई कि कुछ खातों में हर 15 दिन में पैसा डाला जाता था और ठीक अगले दिन उसी अमाउंट को दूसरे खाते में ट्रांसफर कर लिया जाता थाऑनलाइन ट्रांजेक्शन न के बराबर नगण्य थे ज्यादातर कैश या RTGS/NEFT से छोटे अमाउंट में ही लेन-देन हुआसबसे अहम खुलासा खातों में एक खास पैटर्न का है हर महीने की 25 से 28 तारीख को 1 लाख 1 रुपया 2 लाख 1 रुपया या इसी तरह के अमाउंट में पैसा डाला जाता और निकाला जाता रहाजांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि इस “प्लस वन रुपया” वाला तरीका एक कोडेड मैसेज सिस्टम हो सकता है जिससे भेजने वाला व्यक्ति संकेत देता है कि यह पैसा “खास मकसद” के लिए है आतंकी फंडिंग के कई पुराने मामलों में भी इस तरह के कोडेड ट्रांजैक्शन देखे जा चुके हैंखास बात यह भी सामने आई कि 6 नवंबर की रात को कई खातों से एक साथ कई लाख रुपये निकाले गए ठीक उस समय जब ATS ने चारों आरोपितों को गिरफ्तार किया था वित्तीय अपराधों की जांच कर रही एजेंसी अब इन खातों से जुड़े सभी सोर्स और डेस्टिनेशन खातों की चेन को खंगाल रही है बैंक स्टेटमेंट, KYC डिटेल और सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल से कई संदिग्ध लोग और संस्थानों के नाम भी सामने आने की उम्मीद हैएजेंसी सूत्रों का दावा है कि यह पैसा हवाला गैर-कानूनी तरीके से विदेश से या फिर देश के ही कुछ संदिग्ध संस्थानों से आया लगता है जिसका इस्तेमाल संगठन विरोधी गतिविधि और विचारधारा फैलाने में किया जा रहा था.मामला सामने आने के बाद अब इन चारों आरोपित डॉक्टरों से लगातार पूछताछ की जा रही है और उनके अलावा कई अन्य लोगों को भी जांच के दायरे में लिया जा सकता है. एजेंसी का मान रही है कि यह 40 करोड़ केवल ऊपरी सतह का हिस्सा है असल रकम इससे कहीं अधिक हो सकती है यह खुलासा एक बार फिर साबित करता है कि आतंकी फंडिंग अब परंपरागत हवाला की जगह बैंकिंग चैनल के जरिए छोटे-छोटे कोडेड अमाउंट से हो रही है जो सामान्य नजर में सामान्य लेन-देन लगता है लेकिन गहन जांच में इसका असली मकसद सामने आ जाता है।

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