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देश-समाज को जब-जब दशा-दिशा की जरूरत आई, तब-तब पत्रकारिता ने राह दिखाई


लखनऊ लोकतंत्र में निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का चौथा स्तम्भ के रूप में बने रहना परम आवश्यक है। देश और समाज को जब-जब दशा-दिशा दिए जाने की जरूरत आई, तब-तब पत्रकारिता ने सकारात्मक भूमिका निभाई। यह बात उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने शुक्रवार को होटल दीप पैलेस में ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस-2025’ के अवसर पर आयोजित ‘एनयूजे (आई) सम्मान समारोह’ एवं ‘कृत्रिम बौद्धिकता के दौर में पत्रकारिता’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कही।राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि परतंत्र भारत में पत्रकारिता ने न केवल स्वतंत्रता के मतवालों को प्रेरित किया, बल्कि स्वयं सक्रिय सहभागिता निभाकर आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी पत्रकारों ने समय-समय पर देश और समाज की आवश्यकता के अनुरूप सही दिशा दी। आपातकाल के समय जब अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने की कोशिश हुई, तब पत्रकारिता ने सत्ता के दर्पण को निडरता से दिखाया। वहीं, जब सरकारों ने अच्छा काम किया, तब पत्रकारों ने ईमानदारी से उसका समर्थन भी किया। सेना के शौर्य की गाथा हो या समाज में सकारात्मक बदलाव की बात, पत्रकारिता ने हर मोर्चे पर महत्वपूर्ण योगदान दिया।उन्होंने यह भी कहा कि आज के दौर में एआई और डिजिटल टूल्स पत्रकारों का काम आसान बना सकते हैं, लेकिन पत्रकार की संवेदनशीलता और दृष्टि को कोई तकनीक प्रतिस्थापित नहीं कर सकती। आने वाले समय में एआई के सहयोग से पत्रकारिता और अधिक मजबूत होगी, परंतु पत्रकारों की जरूरत हमेशा बनी रहेगी।इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रमुख सचिव, सचिवालय प्रशासन अमित कुमार घोष ने कहा कि पत्रकारिता एक सतत सीखने की प्रक्रिया है। एआई का दौर पत्रकारों को नए-नए कौशल सिखाने का अवसर देगा और उनके कार्य में सहायक बनेगा। उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज के असली प्रहरी होते हैं। चाहे तकनीक कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, पत्रकार की कलम और उसका जज्बा आज भी जीवंत और प्रासंगिक है।कार्यक्रम की अध्यक्षता एनयूजे (आई), उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र सक्सेना ने की। इस दौरान संगठन के संरक्षक के. बख्श सिंह भी मंच पर उपस्थित रहे।

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