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सुल्तानपुर में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का हुआ समापन,महिलाओं ने उगते सूर्य को दिया अर्ध्य



सुल्तानपुर जिले में शुक्रवार को महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया। इसके साथ ही चार दिनों से चल रहे लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का समापन हुआ। लाखों की संख्या में पौराणिक स्थल सीताकुण्ड धाम पर मां गोमती के तट पर पावन धारा में निरजलावृतधारी महिलाओं ने छठ मईया के गीत के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने पति एवं पुत्र के दीर्घायु होने की छठ मईया एवं सूर्य देवता से प्रार्थना की। पांच नवंबर से नहाय खाय के साथ आरम्भ हुए डाला छठ पूजा का सूर्य को अर्घ्य देने के बाद निरजलावृतधारी महिलाओं ने पारण कर समापन किया। आज सुबह निरजलावृतधारी माताओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान की खुशहाली और उनकी लंबी उम्र की कामना की। इससे पहले आधी रात में ही व्रती माताओं के साथ उनके परिवार के लोग गाजे-बाजे के साथ छठ घाटों पर पहुंच गए थे। सारी रात शहर के पौराणिक स्थल सीताकुण्ड धाम पर गूंजते रहे छठ गीत,पूजा बेदियों पर महिलाओं ने विधि विधान से पूजन अर्चन करने के उपरांत गोमती की पावन धारा में उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ का समापन किया।इस अवसर पर गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़ों की धुन एवं आतिशबाजी से सीताकुण्ड धाम गूंज उठा था। वहीं "उगहे सूरज देव भेल भिनसरवा, अरघ के रे बेरवा हो पूजन के रे बेरवा हो, केरवा जे फरे ला घवद से..., कांच ही बांस की बहंगिया बहंगी लचकत जाए..., आदि छठ गीत तड़के शहर में गूंजने लगे। भगवान भास्कर के उदय होने का इंतजार करती रहीं माताओं ने छठ मैया की वेदी पर पूजा-अर्चना किया। परिवार के अन्य सदस्यों ने भी कपूर, अगरबत्ती जलाकर मत्था टेका।सूर्योदय के बाद सभी व्रतियों ने सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन हो गया। 36 घंटे के निर्जल व्रत का किया पारणव्रती माताओं ने घर जाकर शर्बत, काढ़ा और चाय पीने के साथ व्रत का पारण किया। इस मौके पर उपजिलाधिकारी सदर, नगर पालिका अध्यक्ष, ईओ, नगर पालिका समेत अन्य अधिकारी समेत काफी संख्या में पुलिस बल मुस्तैद रहा।

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