
लखनऊ मानस की चौपाइयों का जो लोकहित और सकारात्मक अर्थ हो हमें वही ग्रहण करना चाहिए।बाबा तुलसी से कोई भूल हुई हो यह हमारा मन नहीं मानता। मानस पर हुई या हो रही नकारात्मक टीकाओं पर ध्यान देने की जरूरत ही नहीं है। यह बातें वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री विद्याविन्दु सिंह ने कहीं। वह उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के प्रेमचंद सभागार में सरिता लोकसेवा संस्थान सुलतानपुर द्वारा आयोजित सम्मान समारोह एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रही थीं।अध्यक्षता करते हुए रामायण मेला प्रयाग के महामंत्री शंभूनाथ त्रिपाठी अंशुल ने कहा कि मानस पर टिप्पणी करना मानस का खोखलापन है। राम चरित मानस आचार संहिता है। अधिकारी शब्द का अगर अर्थ लगायें तो पता चलता है कि ढोल , गंवार , क्षुद्र, और पशु नारी यही लोग ताड़ना देने वाले हैं। संस्थान के अध्यक्ष कृष्णमणि चतुर्वेदी मैत्रेय ने कहा कि मानस की कई चौपाइयों में पाठ भेद मिलता है। यह दुखद है कि मानस की चौपाई ढोल गंवार शूद्र पशु नारी को बिना समझे ही विवादित बना दिया गया।विषय प्रवर्तन करते हुए राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय सुलतानपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि तुलसी के व्यक्तित्व, कृतित्व व मानसिक स्तर को समझे बिना उनकी रचनाओं पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। राम चरित मानस के चौपाइयों की व्याख्या करते समय लोकमंगल की दृष्टि चाहिए। अगर यह दृष्टि बदली तो अर्थ का अनर्थ स्वाभाविक है।विशिष्ट अतिथि डॉ सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु ने कहा कि मूर्ख व्यक्ति अर्थ का अनर्थ करते ही रहते हैं इसलिए उनकी बातों पर कभी ध्यान नहीं देना चाहिए ।विशिष्ट अतिथि बाराबंकी के डॉ राम बहादुर मिश्र ने कहा कि हिंदी में पहला शोध राम चरित मानस पर ही हुआ। इस पर सवाल वही खड़ा करता है जिसको भारतीय साहित्य की परम्परा का ज्ञान नहीं है।संचालन वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने किया। संगोष्ठी को सीतापुर की डॉ.ज्ञानवती दीक्षित,प्रयाग की पूर्णिमा मालवीय, डॉ.सत्या सिंह, अनुराधा पाण्डेय आदि ने सम्बोधित किया।समारोह में कृष्णमणि चतुर्वेदी मैत्रेय कृत श्रीराम लोकगीत सागर व इसके मराठी अनुवाद तथा मैत्रेय द्वारा रचित और डॉ कुसुम वर्मा द्वारा स्वरबद्ध की गई भगवान सत्य नारायण की आरती का लोकार्पण भी किया गया ।

इन्हें मिला सम्मान
समारोह में लखनऊ के डॉ विद्या सागर मिश्र को 3100 रुपये का रामकृपाल पाण्डेय सम्मान,हरि मोहन वाजपेई को 2100 रुपये का राम लाल मिश्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सम्मान,2100 रुपए का राम बहादुर सिंह सम्मान ब्रजेश कुमार पाण्डेय इन्दु को , 2100 रुपये का ज्ञानचंद्र मर्मज्ञ सम्मान सूर्य प्रकाश त्रिपाठी वागीश को,1100 रुपये का पारसनाथ पाण्डेय सम्मान डॉ शम्भू नाथ त्रिपाठी अंशुल व कुबेर सिंह यादव को प्रदान किया गया। इसके अलावा डॉ शिव भजन कमलेश, डॉ अलका प्रमोद, विष्णु कुमार शर्मा, डॉ.ज्ञानवती दीक्षित को हिंदी भूषण शिखर सम्मान, कामिनी श्रीवास्तव,शीलधर मिश्र, मुकेशानंद , अर्चना द्विवेदी, उमाशंकर गुप्त, अवनीश पाण्डेय,ओम प्रकाश मिश्र , ध्यानेन्द्र विक्रम सिंह ऋषि व डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी को हिंदी रत्न सम्मान, डॉ.सरिता सिंह, रमाशंकर सिंह, डॉ.कुसुम वर्मा, डॉ विश्वम्भर नाथ अवस्थी, डॉ अशोक अवस्थी, डॉ ओ पी हयारण , कमलकांत शर्मा व डॉ घनश्याम भारती को साहित्य रत्नाकर , देवेन्द्र कश्यप निडर, डॉ हरि प्रसार हरि , डॉ रंजना गुप्त,संजय दत्त मिश्र, हरि गोविंद यादव , प्रेम शंकर शास्त्री, डॉ विष्णु प्रसाद पाठक, डॉ छाया त्यागी, डॉ कुसुम चौधरी,हरि प्रकाश श्रीवास्तव अवधी हरि को हिंदी सौरभ सम्मान प्रदान किया गया।
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