घर है नहीं, सियार से कैसे बचाई बच्चे को
सुल्तानपुर घर है नहीं, कहां सुलाएं बच्चों को।यह उद्गार है विकास खण्ड कुड़वार के पाण्डेय का पुरवा मजरे अझुई गांव में सियार के हमले में घायल पत्नी किसमता के पति शेषराम कोरी का। जहां सोमवार शाम को जंगली सियार के हमले में किसमता अपने एक वर्षीय बच्चे अयांश को बचाने के लिए सियार से भिड़ गई और खुद घायल हो गयी। मंगलवार को डीएफओ अमित सिंह गांव पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और गांव वालों को बच्चों को घर के अन्दर रखने की नसीहत दी।
उसी के बाद पीड़ित शेषराम कोरी का दर्द छलक उठा। उसने बताया कि जिसके पास घर है,उसको आवास मिल रहा है। पानी बहुत दूर से लाना पड़ता है। कालोनी के लिए प्रधान से लेकर विधायक तक पन्द्रह साल से दौड़ रहे हैं लेकिन किसी ने नहीं सुना। पात्र गृहस्थी का राशनकार्ड है वह भी बड़ी परेशानी से बना। आयुष्मान कार्ड भी नहीं है।
गंवई राजनीति में उलझ गया गरीब का आशियाना
आजादी के सात दशक बाद भी अभी शेष राम कोरी जैसे बहुत गरीब हैं। जिनके सिर ढकने के लिए छत नहीं है। ग्राम पंचायतों में प्रधानों द्वारा रेवड़ी की तरह चहेते लोगों को आवास होने के बावजूद पिता-पुत्र तक को आवास बांटा जा रहा है। लेकिन जिसे वास्तव में आवश्यकता है उसे केवल निराशा ही हाथ लग रही है। कुड़वार विकासखंड के पाण्डेय का पुरवा अझुई के शेष राम कोरी तो बानगी के लिए हैं। जबकि अझुई से दो पंचवर्षीय इसौली से अबरार अहमद विधायक भी हुए थे। पीड़ित शेषराम एक सीमेंट के पतरे के नीचे परिवार के साथ रहने को मजबूर हैं। इस सम्बन्ध में ग्राम पंचायत के सचिव संतोष कुमार पाल ने बताया कि खुली बैठक में शेष राम को सूची में शामिल किया गया है। लिस्ट फाइनल होते ही आवास बनवाया जायेगा।
कोई टिप्पणी नहीं