स्वर्वेद मंदिर भारत के अध्यात्म का प्रतीक - पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के दो दिवसीय दौरे पर हैं और आज उनकी यात्रा का आज दूसरा और आखिरी दिन है।प्रधानमंत्री मोदी ने आज सबसे पहले काशी में स्वर्वेद महामंदिर का लोकार्पण किया।जो करीब 35 करोड़ की लागत से बना है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दौरे के दूसरे दिन यानी सोमवार को सेवापुरी विकासखंड के बरकी ग्राम सभा में विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम में शामिल होंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब मैंने स्वर्वेद महामंदिर का दौरा किया तो मैं मंत्रमुग्ध हो गया वेदों, उपनिषदों, रामायण, गीता और महाभारत की दिव्य शिक्षाओं को स्वर्वेद महामंदिर की दीवारों पर चित्रों के माध्यम से चित्रित किया गया है। भारत की आध्यात्मिक संरचनाओं के आसपास ही हमारी शिल्प और कला ने अकल्पनीय ऊंचाइयों को छुआ। यहां से ज्ञान और अनुसंधान के नए मार्ग खुले। उद्यमों और उद्योगों से जुड़ी असीम संभावनाओं का जन्म हुआ।
आस्था के साथ-साथ योग जैसे विज्ञान फले-फुले, और यहीं से पूरे विश्व के लिए मानवीय मूल्यों की अविरल धाराएं भी बही। गुलामी के कालखंड में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया उन्होंने सबसे पहले हमारे प्रतीकों को ही निशाना बनाया। आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण आवश्यक था.प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में राम सर्किट के विकास के लिए भी तेजी से काम हो रहा है और अगले कुछ सप्ताह में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी पूरा होने जा रहा है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही है। आज महाकाल महालोक हमारी अमरता का प्रमाण दे रहा है। आज केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बुद्ध सर्किट का विकास करके भारत एक बार फिर दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर आमंत्रित कर रहा है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देते तो देश के भीतर एकजुटता और आत्मसम्मान का भाव मजबूत होता। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण तक का विरोध किया गया था और ये सोच दशकों तक देश पर हावी रही। आजादी के 7 दशक बाद आज समय का चक्र एक बार फिर घूमा है। देश अब लालकिले से गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व की घोषणा कर रहा है।जो काम सोमनाथ से शुरू हुआ था वो अब एक अभियान बन गया है।पीएम मोदी ने कहा कि आज स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार होना इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है। ये महामंदिर महृषि सदाफल देव जी की शिक्षाओं और उनके उपदेशों का प्रतीक है।इस मंदिर की दिव्यता जितना आकर्षित करती है इसकी भव्यता हमे उतना ही अचंभित भी करती है।
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