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सुलतानपुर जिला जेल में हुई थी अमेठी के 2 विचाराधीन बंदियों की हत्या

 


सुलतानपुर जिला जेल में 2 विचाराधीन बंदियों ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी हत्या हुई थी। 21 जून को जब शव मिले थे तो जेल प्रशासन ने इसे आत्महत्या बताया था।लेकिन उन्हें जहर देकर फंदे से लटका दिया गया था। अपनी न्यायिक जांच रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट(CJM) सपना त्रिपाठी ने इसका खुलासा किया है। साथ ही इसके लिए जेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। जेल अफसरों ने पहले हो चुकी इन मौतों को 2 दिन छिपाए भी रखा था।

अमेठी के जामो थाना अंतर्गत लोरिकपुर गांव में 26 मई की रात चौधरी का पुरवा लोरिकपुर निवासी मुर्गी फार्म संचालक ओम प्रकाश यादव की धारदार हथियार से हत्या हुई। इस मामले में 30 मई को लोरिकपुर गांव निवासी करिया उर्फ विजय पासी (20) व मन्नू रैदास (18) कोर्ट से जेल भेजे गए थे। 21 जून की शाम सुल्तानपुर जेल के अंदर पेड़ से दोनों की लटकती हुई लाश मिली थी। 22 जून को गांव में ही दोनों का अंतिम संस्कार हुआ था। परिवार वालों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया था।तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह ने दावा किया था कि दोनों ने आत्महत्या की है और उनके शव पेड़ से लटके पाए गए।पोस्टमार्टम के दौरान ही चिकित्सकों ने स्पष्ट कर दिया था कि मौतें करीब 2 दिन पहले हुई हैं। बीते 28 जून को जेल अधीक्षक उमेश सिंह का तबादला करके उन्हें केंद्रीय कारागार वाराणसी भेजा गया था। वही प्रभारी अधिष्ठान अयोध्या मंडल ने जेल में तैनात 2 हेड जेल वार्डर धीरज चौबे और चंद्रशेखर को निलंबित किया था। वही तत्कालीन डीएम जसजीत कौर ने इस मामले में ज्यूडिशियल जांच बिठाई थी। जिसमें CJM सपना त्रिपाठी, SDM सदर सीपी पाठक व CO सिटी राघवेंद्र चतुर्वेदी जांच कर रहे थे। जेल स्टाफ बंदियों और मृतकों के परिजनों आदि 20 साक्षियों से बयान लेने के बाद तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट(CJM) ने 2 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट जिला न्यायाधीश को सौंप दी है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट(CJM) सपना त्रिपाठी ने 2 दिसंबर को 24 पन्ने की अपनी जांच रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट जज को भेजा है। उन्होंने 20 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इसमें 4 विचाराधीन बंदी, एक दोष सिद्ध बंदी, 3 हेड जेल वार्डर, 2 जेल वार्डर, मृतक मनोज के माता-पिता, मृतक विजय पासी के भाई और रिश्तेदार, 2 जेल प्रभारी महिला, एक उप जेलर महिला, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सुनील और डॉक्टर राम धीरेंद्र एवं तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह के बयान दर्ज किए हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट(CJM) सपना त्रिपाठी द्वारा की गई मजिस्ट्रियल जांच में मृतकगण को अवसाद से ग्रस्त नहीं पाया गया। जांच में पाया गया कि मृतक मनोज और करिया की मृत्यु के समय और कारण पूर्णतया संदिग्ध है। उनकी मृत्यु 21 जून 2023 के पूर्व हो चुकी थी किंतु जेल प्रशासन ने जानबूझकर उनके मृत्यु की सूचना नहीं दी थी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट(CJM)  के अनुसार मृतकगण की मृत्यु का कारण एंटी मॉर्टम हैंगिंग है किंतु उनके पोस्टमॉर्टम से स्पष्ट है कि मृतकगण को किसी नशीले पदार्थ के प्रभाव में उनकी इच्छा के विरुद्ध फांसी पर लटकाया गया। जिसके कारण यह मामला आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का है। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी जेल प्रशासन की है।

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