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संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस हुआ निलंबित


अमेठी में लोगों को जल्द इलाज की सुविधा देने के लिए जिस अस्पताल का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया वो विवादों में फंस गया। एक विवाहिता की मौत के बाद अमेठी प्रशासन ने अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित कर दिया। अस्पताल का लाइसेंस निलंबित होने के बाद एक हजार से अधिक नर्सिंग और पैरामेडिकल के छात्रों का भविष्य अधर में अटक गया। तो करीब 400 से अधिक कर्मचारियों के जीवन यापन पर भी संकट खड़ा हो सकता है।दरअसल अमेठी के मुंशीगंज में संजय गांधी ट्रस्ट द्वारा संजय गांधी अस्पताल संचालित हो रहा था। अस्पताल परिसर में ही नर्सिंग और पैरामेडिकल का कालेज भी चलता था। जिसमें करीब 1 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ते थे। संजय गांधी अस्पताल में ही उनकी ट्रेनिंग होती थी। इस अस्पताल में डॉक्टरों स्टाफ और सिक्योरिटी गार्ड समेत 400 से अधिक कर्मचारी तैनात थे। अगर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से समाप्त हो जाता है तो इन लोगों की नौकरी चली जायेगी।

साथ ही अस्पताल में पढ़ने वाले पैरामेडिकल और नर्सिंग के छात्र-छात्राओं को दूसरी जगह जाकर ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी। पूरे मामले पर अस्पताल के CEO अवधेश शर्मा ने कहा कि शासन की तरफ से अस्पताल को सस्पेंड किया गया है। जिसके बाद अस्पताल बंद है। जो मरीज पहले से भर्ती है। उनका इलाज किया जा रहा है। जिस मामले को लेकर अस्पताल के लाइसेंस को सस्पेंड किया गया वो पूरी तरह गलत है। महिला के इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई। हमने अपने सीनियर मैनेजमेंट को पूरी जानकारी दे दी है। फाइनल डिसीजन क्या लेना है। इस पर विचार किया जा रहा है। अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट भी जाएंगे।फिलहाल अस्पताल के निलंबन ने नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन ट्रेनिंग में दिक्कत होगी।दरअसल 14 सितम्बर को पथरी का ऑपरेशन कराने के लिए अनुज शुक्ला ने अपनी पत्नी दिव्या शुक्ला को भर्ती कराया था। जहां 15 सितम्बर को ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया का ओवर डोज देने के वजह से वो कोमा में चली गई। 16 सितम्बर को परिजन उसे लेकर लखनऊ के मेदांता अस्पताल पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में मुंशीगंज थाने में अस्पताल के सीईओ समेत तीन डॉक्टरों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। मामला हाई प्रोफाइल होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी संज्ञान लेते हुए अमेठी प्रशासन को अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जांच में अस्पताल प्रशासन दोषी पाया गया। उसके लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया।

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