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जानलेवा हमले के आरोपियों को मिली जमानत,नही ठहरी पुलिस की कहानी


वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील सिंह के तर्कों से सहमत हुई कोर्ट ने दी बेल

न्यायालय- अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशकक्ष संख्या-04. सुलतानपुर ।

उपस्थित राजेश नारायण मणि त्रिपाठी,

(J-O-Code-UP 6233) जमानत प्रार्थना पत्र संख्या-1165 / 2023

(C-N-R-NO-UPSTO10024782023)

1- करुणा शंकर उर्फ कामता पाठक आयु लगभग 20 साल सुत मंगला प्रसाद निवासी

पठखौली, थाना सरपतहा जनपद जौनपुर,

2- मोनू यादव आयु लगभग 22 साल सुत समरनथ यादव निवासी ग्राम डेडवा भक्ताने थाना बदलापुर जनपद जौनपुर- - प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण


राज्य उ. प्र.

- विपक्षी / अभियोगी

बनाम मु0अ0सं057/23 दिनांक- 25.04.2023 अन्तर्गत धारा 307 भा.दं.सं. थाना करौदीकला, जिला सुलतानपुर।

प्रस्तुत जमानत प्रार्थनापत्र प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण करूणा शंकर उर्फ कामता पाठक व मोनू यादव की और से मु0अ0सं057 / 23 अन्तर्गत धारा 307 भा.दं.सं थाना करौदीकला, जिला सुलतानपुर में प्रस्तुत किया गया है। संक्षेप में अभियोजन कथानक फर्द बरामदगी के अनुसार इस प्रकार है कि थानाध्यक्ष अकरम खान मय हमराहियान शान्ति व्यवस्था व वांछित अभियुक्त तलाश में मामूर थे, कि दिनांक- 14.03.23 को समय करीब 19 बजे काठपरवेन्दसिंह व कांस्टेबल गगनदीन ने सूचना दी कि पैदल भाग रहे बदमाशों को वह लोग पकड़ लिये है, इस सूचना पर विश्वास कर मौके पर आये और पकडे गये व्यक्तियों का नाम पता व जामा तलाशी ली गयी तो पकडे गये व्यक्तियों ने अपना नाम करूणा शंकर उर्फ कामता पाठक व मोनू यादव बताया। उसके पास से चोरी के लाकट आधार कार्ड पैन कार्ड ए.टी.एम कार्ड व 1200 रूपये नगद दो अदद तमंचा नाजायज 315 बोर व दो अदद खोखा कारतस 315 बोर बरामद हुआ। अतः रिपोर्ट लिखकर उचित कार्यवाही की जाये।

बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील सिंह व जूनियर राजन पांडेय के तर्कों से मिली जमानत

(सुल्तानपुर) अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह व जूनियर राजन पांडे ने तर्क दिया कि जमानत प्रार्थनापत्र में कि प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण निर्दोष है। उसे झूठे मामले में रंजिशन हैरान व परेशान करने की नीयत से फंसाया गया है। प्रार्थीगण / अभियुक्तगण का कोई आपराधिक इतिहास नही है। घटना का कोई भी स्वतन्त्र व प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है। अतः प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण को दौरान विचारण मुकदमा एवं उचित जमानत एवं मुचलके पर रिहा किये जाने की कृपा की जाये।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( फौजदारी) द्वारा जमानत प्रार्थनापत्र पर विरोध किया गया और कथन किया गया है कि प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण द्वारा पुलिस पाटी पर जान से मारने की नीयत से कट्टे से फायर किया गया है प्रार्थी / अभियुक्त का अपराध गम्भीर प्रकृति का है।इसलिए जमानत याचिका के पेज 1 ऑफ 3 को खारिज किया जाता है।अतः जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किया जाये। मैने जमानत प्रार्थनापत्र पर प्रार्थीगण / अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त पुलिस प्रपत्रो का सम्यक परिशीलन किया।

प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) को सुनने तथा पुलिस प्रपत्रों के परिशीलन से स्पष्ट होता है कि प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण के ऊपर पुलिस के ऊपर फायरिंग करने तथा पुलिस से मुठभेड करने का आरोप हैं, किन्तु किसी भी पुलिस के व्यक्ति को चोट दर्शित नहीं की गयी है और न ही घटना का कोई प्रत्यक्ष व चक्षुदर्शी साक्षी ही है। आरोपपत्र न्यायालय में प्रेषित है, जिसपर प्रसंज्ञान लिया जा चुका है। अभियोजन पक्ष द्वारा साक्षियों को डराये व धमकाये जाने व फरार होने की कोई आख्या प्रस्तुत नही की गयी है जहां तक अभियोजन पक्ष की और से अभियुक्त के आपराधिक इतिहास प्रस्तुत किये जाने का प्रश्न है, तो अभियोजन पक्ष द्वारा इस स्तर पर उन अपराधों में अभियुक्त के दोषसिद्धि के सन्दर्भ में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः अपराध की प्रकृति को दृष्टिगत रखते हुए मामले के गुणदोष पर कोई टिप्पणी किये बगैर प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है। आदेश प्रार्थीगण/ अभियुक्तगण करूणा शंकर उर्फ कामता पाठक व मोनू यादव की और से प्रस्तुत जमानत प्रार्थनापत्र मु0अ0सं057 / 23 अन्तर्गत धारा 307 भा.द.स थाना करौदीकला, जिला सुलतानपुर स्वीकार किया जाता है। प्रार्थी / अभियुक्त प्रत्येक को मु050,000/- रुपये ( पच्चास हजार ) रूपये का व्यक्तिगत बंधपत्र व इसी धनराशि की दो विश्वसनीय प्रतिभू निष्पादित करने पर सम्बन्धित न्यायालय की सन्तुष्टि पर निम्न शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाये-

1-प्रार्थी / अनियुक्त अन्तर्गत धारा 437 उपधारा-3 चैप्टर-33 दं.प्र. सं में उल्लिखित बंधपत्र की शर्तों का कठोर पालन करेगा।

(क) ऐसा व्यक्ति इस आशय के अधीन निष्पादित बचपन की शर्तों के अनुसार हाजिर होगा। (ख) ऐसा व्यक्ति उस अपराध जैसा, जिसको करने का उसपर अभियोग या संदेह है, कोई अपराध नही करेगा।

( ग ) ऐसा व्यक्ति उस मामले के तथ्यों से अवगत किसी व्यक्ति को न्यायालय या किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के लिए मनाने के वास्ते प्रत्यक्षत या अप्रत्यक्षतः उसे कोई उत्प्रेरणा नहीं करेगा, धमकी या वचन नहीं देगा या साक्ष्य को नही बिगाड़ेगा। प्रार्थी / अभियुक्त फार्म-45 अन्तर्गत धारा-437 ए.दं.प्र.स में दिये गये बिन्दुओं के अनुसार बंधपत्र दाखिल करेगा "अभियुक्त विचारण के पूर्ण होने के छ: माह के अन्दर यदि उच्चतर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किसी अपील या याचिका में न्यायालय के द्वारा नोटिस जारी होता है, तो न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहेगा।" प्रार्थी / अभियुक्त विवेचना / विचारण की कार्यवाही में सहयोग करेगा। प्रार्थी / अभियुक्त इस आशय का एक बंधपत्र दाखिल करेगा कि वह विचारण / साक्ष्य के दौरान जब भी कोई साक्षी हाजिर होगा, स्थगन नहीं लेगा। इस शर्त की अवहेलना होने पर सम्बन्धित न्यायालय को यह अधिकार होगा कि सम्बन्धित न्यायालय अभियुक्त के द्वारा जमानत की स्वतंत्रता के दुरूपयोग के कारण उसके विरूद्ध विधि सम्मत आदेश पारिल करें। (राजेश नारायण मणि त्रिपाठी) अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या 0 सुल्तानपुर। दिनांक- 25.04.2023

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