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जयंती समारोह में लेख प्रतियोगिता के विजेताओं को किया गया पुरस्कृत


सुलतानपुर रामकृष्ण परमहंस भारतीय संस्कृति को जीवंत करने वाले संत थे। जिस समय भारत गुलाम था और पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति को पुरानी घोषित कर चुकी थी उस समय उन्होंने भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता को साबित किया था।' यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहीं। वह कटसारी गांव के कोटवा में आयोजित रामकृष्ण परमहंस जयंती समारोह को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।

समारोह में 14 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वाले विद्यार्थियों के लिए 'श्री रामकृष्ण परमहंस का आध्यात्मिक जीवन और उपदेश' विषय पर एक लेख प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें संत तुलसीदास पीजी कालेज की छात्रा जागृति सिंह को पांच हजार रुपए नकद धनराशि का प्रथम पुरस्कार , प्रीति सिंह को तीन हजार रुपए नकद धनराशि का द्वितीय पुरस्कार तथा नेहा गौतम को दो हजार रुपए नकद धनराशि का तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। विशिष्ट अतिथि युवा साधक ध्यानेंद्र विक्रम सिंह ऋषि ने सभी विजेताओं को धनराशि और पुस्तकें देकर पुरस्कृत किया।  पुरस्कार राशि और पुस्तकों की व्यवस्था दिल्ली के युवा व्यवसायी धीरज सिंह की तरफ से की गई थी। विजेताओं के साथ ही अन्य उपस्थित श्रद्धालुओं को भी आयोजक धीरज सिंह द्वारा रामकृष्ण परमहंस के विचारों पर आधारित पुस्तकें भेंट की गईं। यहां आयोजित भंडारे में ग्राम वासियों ने प्रसाद ग्रहण किया।इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक धीरज सिंह, अजीत सिंह,संगीता सिंह ,सर्वेश सिंह, जीतेन्द्र सिंह, विनोद सिंह, सचींद्र सिंह, अखिलेश , संजीव,पंकज आदि उपस्थित रहे।

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