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आईएनएस विक्रांत को आज नौसेना को सौंपेंगे पीएम मोदी

 


नई दिल्ली भारतीय नौसेना को आज उसका दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर मिल जाएगा जो पूरी तरह स्वदेशी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 9ः30 बजे कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में आईएसी विक्रांत को देश की सेवा में समर्पित करेंगे INS विक्रांत का डिजाइन और निर्माण सबकुछ भारत में ही हुआ है। पीएम नौसेना के नए फ्लैग का भी आज अनावरण करेंगे जो ब्रिटिश राज की परछाई से दूर होगा। INS विक्रांत रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास अपने दम पर विमान वाहक पोत बनाने की क्षमता है।INS विक्रांत का निर्माण भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ.साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रमों द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है।इसके जलावतरण के साथ भारतीय नौसेना के पास सेवा में मौजूद 2 विमानवाहक पोत होंगे।नौसेना के पास पहले से विमानवाहक पोत INS विक्रमादित्य मौजूद है। एयरक्राफ्ट कैरियर यानी विमानवाहक पोत समंदर में चलते.फिरते किले की तरह होते हैं। ये ऐसे लड़ाकू जहाज होते हैं जो समंदर में एयरबेस की तरह काम करते हैं।एयरक्राफ्ट कैरियर पर विमानों के उड़ान भरने के लिए और उनके उतरने के लिए लंबा.चौड़ा डेक होता है जो रनवे का काम करता है।इसके अलावा विमानवाहक पोत पर एयरक्राफ्ट के रखरखाव उन्हें हथियारों से लैस करने समेत तमाम तरह की सुविधाएं रहती हैं। जमीनी क्षेत्र की हवाई सुरक्षा की जिम्मेदारी इंडियन एयरफोर्स की है लेकिन हाई सी यानी समुंदर में एयर डिफेंस के लिए जरूरी है कि एयरक्राफ्ट कैरियर हो ताकि विमानों को बिना किसी रुकावट के लगातार ऑपरेट किया जा सके।INS विक्रांप पर अलग.अलग तरह के 30 से ज्यादा एयरक्राफ्ट तैनात किए जा सकते हैं जिनमें फाइटर एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर इत्यादि शामिल हैं।जहाज में अल्‍ट्रा-मॉडर्न मेडिकल फैसिलिटीज के साथ पूरा मेडिकल कैंपस है जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर), आपातकालीन मॉड्यूलर ओटी, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं आदि शामिल हैं। यह स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) और हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा।

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