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10वीं फेल सट्‌टा किंग जीता था लग्जरी लाइफ


लखनऊ सट्‌टे के अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट से जुड़ा आगरा का 10वीं फेल सट्‌टेबाज के बारे में पुलिस ने कई बडे़ खुलासे किए हैं। पुलिस ने बताया कि अंकुश लोकेशन ट्रेस होने के डर से फोन पर किसी से बात नहीं करता था। वाट्सएप कॉल के जरिए बात करने के लिए भी विदेशी सिम का इस्तेमाल करता था। जिस फ्लैट में वो रहता था, वहां पर 80 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहते थे।आगरा का सट्‌टेबाज अंकुश मंगल पुलिस की गिरफ्त में हैं। अंकुश ने पुलिस को बताया कि जब आगरा में उस पर पुलिस का शिकंजा कसने लगा तो वो दिल्ली भाग गया। पुलिस उसे न पकड़ सके इसके लिए उसने फोन पर बात करना छोड़ दिया। वो केवल वाट्स एप कॉल पर ही बात करता था, इसके लिए भी उसने दुबई का सिम लिया हुआ था। इसके अलावा उसका मुखबिर तंत्र बहुत मजबूत था। पुलिस के अलावा अन्य विभाग के लोगों की वो खातिरदारी करता रहता था, जिससे वहां से उसे जानकारी मिलती रहे। आगरा में उसकी चंद लोगों से ही बात होती थी। वो समय-समय पर अपने ठिकाने बदलते रहता था। अंकुश ने सट्‌टे के जरिए अकूत संपत्ति अर्जित की। बताया गया है कि करीब 100 करोड़ रुपए की संपत्ति उसने अर्जित की है। अंकुश दिल्ली से फरीदाबाद में शिफ्ट हो गया था। फरीदाबाद में वो एक हाईसिक्योरिटी अपार्टमेंट में रहता था। इस अपार्टमेंट में एक बार में करीब 80 गार्ड तैनात रहते हैं। हर कोई अपार्टमेंट के अंदर दाखिल नहीं हो सकता। आगरा पुलिस को अंकुश को पकड़ने के लिए फरीदाबाद पुलिस की मदद लेनी पड़ी।एसएसपी सुधीर कुमार ने बताया कि अंकुश अग्रवाल को न्यू आगरा पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद जिले से गिरफ्तार किया है। अंकुश ने बताया कि वो 10वीं में फेल हो गया था। इसके बाद 2007 में वो अपने कस्बे से आगरा आकर करकुंज चौराहे पर रहने लगा और सट्‌टे का काम शुरू कर दिया। 2014 में उसने आईपीएल में सट्‌टा के काम शुरू किया। 2017 तक आगरा में रहकर सट्‌टे का काम करता रहा। चार साल में उसका नेटवर्क और काम बहुत बढ़ गया था। ऐसे में अंकुश 2017 में आगरा से दिल्ली चला गया। वहां पर उसने बहुत बडे़ स्तर पर सट्‌टे का काम शुरू कर दिया।अंकुश ने बताया कि सट्‌टे के काम के लिए उसने दुबई से संचालित वेबसाइट से अपने नाम पर मास्टर आईडी ली। इस मास्टर आईडी को वो अपने साथियों में एक लाख रुपए में बेच देता था। सुपर मास्टरआईडी से चलने वाली आईडी को हिसाब किताब वो देखता रहता था। सुपर आईडी से उसे पता चलता रहता था कि किस साथी ने कितने रुपए जीते। हर सोमवार को बैठकर जीती हुई रकम का हिसाब होता था। हिसाब किताब का लेखा-जोखा बड़ा होने के कारण उसने एक सॉफ्टवेयर बनवा रखा था। इस सॉफ्टवेयर से ही हिसाब होता था।

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