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सहारा एजेंटों ने कर्मचारी-अधिकारियों को ऑफिस में किया कैद


लखनऊ जमाकर्ताओं के बकाया भुगतान को लेकर सहारा इंडिया परिवार में हर दिन एक नया बखेड़ा देखने को मिल रहा है। कभी कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हो रहा है, तो कभी जमाकर्ता कंपनी के कार्यालय में आकर मारपीट करने पर आमादा हो जाते हैं। मंगलवार रात एक नया मामला सामने आया है, जिसमें कंपनी के कलेक्शन एजेंटों ने जमाकर्ताओं के भुगतान नहीं होने पर कार्यालय में कर्मचारी अधिकारियों सहित खुद को कैद कर लिया है।उनका कहना हैं कि जब जमाकर्ताओं के बकाया भुगतान नही हो जाता, वे न तो खुद घर जाएंगे और न ही सहारा फाइनेंस के किसी कर्मचारी और अधिकारियों को घर जाने देंगे। सहारा कंपनी ने पूरे मामले की सूचना क्षेत्रीय पुलिस काका दो दी। सुबह 5 बजे काकादेव थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और उसने समझा-बुझाकर एजेंटों से ताला खुलवाया। इसके बाद अधिकारी अपने घर जा सके।सहारा फाइनेंस कंपनी में बतौर एजेंट काम करने वाले राजाराम गुप्ता ने बताया कि उन्होंने कई जमाकर्ताओं के लाखों रुपए कंपनी में डिपॉजिट कराए हैं। भुगतान की तिथि बीत जाने के महीनों और वर्षों बाद भी जमाकर्ताओं को पेमेंट नहीं मिल पाया है। इससे जमाकर्ता उनके घर में आए दिन गाली-गलौज और मारपीट कर रहे हैं। राजा राम गुप्ता का कहना है कि जब वे सहारा फाइनेंस कंपनी में भुगतान के लिए अधिकारियों से बात करते है, तो कंपनी के आला अधिकरी रकम नहीं होने का रोना रोते हैं।ऐसे में एजेंटों की स्थिति बहुत बुरी हो गई है। आए दिन उनके साथ जमाकर्ता मारपीट कर रहे हैं। बेइज्जत कर रहे हैं। कंपनी भुगतान नहीं कर रही है। दूसरे एजेंट आनंद प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यालय में सालों से चक्कर लगा रहे हैं। मगर, किसी भी तरह से जमाकर्ताओं का भुगतान नहीं हो रहा है। मजबूरन दो दर्जन एजेंटों ने आज कार्यालय में पहुंच कर ताला डाला दिया है।वर्ष 2014 में कंपनी के चेयरमैन सुब्रत राय सहारा, उनके बहनोई और एक डायरेक्टर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। महीनों जेल में रहने के बाद फिलहाल सुब्रत राय पैरोल पर बाहर निकले हैं। इधर, कंपनी की हालत दिन-ब-दिन जर्जर होती जा रही है। बाजार से पैसे के कलेक्शन पर रोक लगी हुई है। ऐसे में जमाकर्ताओं को भुगतान नहीं हो पा रहा है।

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