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किशोरी को भगाने एवं दुष्कर्म के केस में दोषी को सात साल की कैद व 20 हजार का अर्थदंड


सुलतानपुर। करीब सोलह वर्षीय किशोरी को बहलाकर भगाने एवं उसके साथ दुष्कर्म के आरोप में स्पेशल जज पाक्सो एक्ट की अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया है। जिसे स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने सात वर्ष के कारावास एवं 20 हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।मालूम हो कि करीब 16 वर्षीय किशोरी के भाई ने तीन फरवरी 2019 को हुई घटना का जिक्र करते हुए कूरेभार थाने में इसी क्षेत्र के रहने वाले आरोपी लवकुश के खिलाफ़ अपनी पुत्री को स्कूल गए होने के दौरान बहलाकर साइकिल से अयोध्या(फैजाबाद) भगा ले जाने और अपने मामा के यहां ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देने का आरोप लगाया। मुकदमे में पीड़िता बताई गई किशोरी को विवेचक ने घटना के तीन दिन बाद विधायक नगर तिराहा-गुप्तारगंज से बरामद होना बताया,जबकि पीड़िता ने किसी नदी के पास बरामद होने का बयान दिया था और गवाह बनी महिला सिपाही ने कूरेभार से धनपतगंज के बीच बरामदगी स्थल होने सम्बन्धी बयान दिया,जिस पर बताया गया बरामदगी स्थल पड़ता ही नहीं। मेडिकल के दौरान घटना के संक्षेप विवरण के कालम में भी एफआईआर में बताई गई घटना की तिथि से एक दिन पहले यानी दो फरवरी की तिथि लिखी गई है और पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने कोर्ट में दिए 164 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत हुए बयान में भी घटना की तिथि दो फरवरी बताई,जबकि साक्ष्य के दौरान घटना की तारीख तीन फरवरी बताया। इसके अलावा पीड़िता के जरिये घटना के दिन जिस जूनियर हाई स्कूल में पढ़ने जाने की बात बताई गई थी,वह भी प्रिंसिपल के बयान से झूठा साबित हुआ। साक्ष्य में आये प्रिंसिपल के बयान के मुताबिक पीड़िता वर्ष 2018 में ही उनके विद्यालय से आंठवी पास कर चुकी थी, ऐसे में पीड़िता को उस विद्यालय में पढ़ने के लिए जाने का कोई प्रश्न ही नही उठता। इन सब बातों के अलावा यह भी तथ्य सामने आया कि अयोध्या बताये गए स्थान पर आरोपी की कोई रिश्तेदारी भी नही है। पीड़िता के मुताबिक वह आरोपी लवकुश के साथ पहले कहीं नही गई थी,लेकिन घटना की सुबह अचानक उसके कहने पर साइकिल पर बैठकर भाई समझकर चली गई,सामने आए पीड़िता के बयान के मुताबिक सुबह 8 बजे साइकिल से निकले दोनो को अयोध्या पहुँचने में पूरे 12 घण्टे लग गए थे। इस तरह से बचाव पक्ष ने अभियोजन कहानी में कई झोल बताते हुए लवकुश को बेकसूर बताया और महज पीड़िता के पिता व आरोपी के बीच रुपये के लेन-देन का विवाद होने की वजह से फर्जी केस में फंसाने का तर्क रखा। बचाव पक्ष के मुताबिक घटना का कोई ऐसा गवाह भी नही था,जिससे घटना साबित हो,पीड़िता ने जो बयान दिया भी था,उसमे काफी भिन्नता रही,जिस आधार पर बचाव पक्ष ने घटना को झूठा होना बताया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता रमेश चन्द्र सिंह ने अभियोजन साक्ष्यों के आधार पर आरोपी लवकुश को ही घटना का जिम्मेदार ठहराया और जिसे दोषी ठहराकर कड़ी सजा से दण्डित किये जाने की मांग की। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने केस की परिस्थितियों के दृष्टिगत आरोपी लवकुश को दोषी ठहराते हुए उसे सात वर्ष के कारावास एवं 20 हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।

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