दारोगा ने बरसाई ताबड़तोड़ लाठियां,स्वास्थ्य कर्मी की गोद में थी उसकी बेटी,दरोगा सस्पेंड

 


लखनऊ कानपुर देहात  से एक ऐसी वीडियो निकल कर सामने आई है।  जिसने पुलिसिया कार्यशैली पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं।  ताजा मामला जनपद के जिला अस्पताल का है।  जहां पर धरने पर बैठे एक स्वास्थ्य कर्मी को पुलिस ने बर्बरता के साथ सरेराह बेरहमी से पीट दिया।  कानपुर पुलिस के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मामले की जांच अपर पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया है। निष्पक्षता बनाने के लिए पुलिस की ओर से थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर कर दिया गया है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।  जिला अस्पताल में अपनी कुछ मांगों को लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यूनियन के लोग धरने पर बैठे हुए थे और अपनी मांगों को लेकर लगातार स्वास्थ्य अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे।  लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों की बात मानें तो आला अधिकारियों के द्वारा उनकी किसी भी मांग को माना नहीं जा रहा था।  जिसको लेकर आज जिला अस्पताल परिसर के बाहर यह लोग अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे और अपने कार्य को पूर्ण रूप से बंद कर दिया था।  जिला अस्पताल में धरना दे रहे 12 लोगों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की सीएमएस वंदना सिंह, जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारी को सूचित कर इस पूरे मामले में सहायता मांगी थी। अकबरपुर कोतवाली में तहरीर भी दी थी और धरने को खत्म कराने के लिए पुलिस की सहायता भी मांगी थी।  जब अकबरपुर कोतवाल की गाड़ी जिला अस्पताल परिसर पहुंची तो वहां पर पुलिस का तांडव शुरू हो गया इसी दौरान अकबरपुर कोतवाल विनोद कुमर मिश्रा ने कर्मियों को मारना शुरू कर दिया।  दारोगा साहेब के बरसते डंडे के बीच एक कर्मी आ फंसा।  कर्मी की गोद में उसकी बेटी भी थी।  इस दौरान वो बेबस कहता नजर आया कि साहब छोटा बच्चा है उसे लग जायेगी लेकिन दारोगा को तरस नहीं आया।  हालांकि बीच बचाव कर कर्मचारी को छुड़ा दिया। जिसको वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।  जिस कर्मी को दारोगा पीट रहे है। वह कानपुर देहात के स्वास्थ्य महकमे में बतौर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। जिला अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी कर्मचारी नेता रजनीश शुक्ला के ऊपर मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसमें आरोप है कि बगैर किसी सूचना के के धरना प्रदर्शन करने लगे और जबरन अस्पताल की ओपीडी बंद कराई गई जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहद समस्या का सामना उठाना पड़ा। 

भाजपा नेता वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सशक्त कानून व्यवस्था वो है जहां कमजोर से कमजोर व्यक्ति को न्याय मिल सके।यह नहीं कि न्याय मांगने वालों को न्याय के स्थान पर इस बर्बरता का सामना करना पड़े,यह बहुत कष्टदायक है।भयभीत समाज कानून के राज का उदाहरण नहीं है।सशक्त कानून व्यवस्था वो है जहां कानून का भय हो,पुलिस का नहीं। 

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