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किसान मोर्चा की लखनऊ में महापंचायत आज


लखनऊ तीन कृषि कानूनों की प्रधानमंत्री द्वारा वापसी के बाद 40 किसान संगठनों वाले संयुक्त किसान मोर्चे की आज लखनऊ के ईको गार्डन में महापंचायत होगी। इसमें कृषि कानूनों की वापसी के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। महापंचायत के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत सहित कई अन्य प्रमुख किसान नेता शामिल होंगे।महापंचायत के लिए राकेश टिकैत और अन्य किसान नेता रविवार की देर रात लखनऊ पहुंचे। आयोजिन की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कृषि कानूनों की वापसी की प्रधानमंत्री की घोषणा तो हो गई मगर अभी बात पूरी नहीं हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए वह इस पूरे मामले को लेकर एक कमेटी गठित करें और खुद उस कमेटी में शामिल हों। फिर यह कमेटी पत्र लिखकर किसान नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित करे।तीन कृषि कानून वापसी के बाद आन्दोलन वापस न लिए जाने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी भी किसानों उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिये जाने की गारंटी का मसला हल नहीं हुआ है। किसानों को केन्द्र सरकार से इस बारे में कोई आश्वासन नहीं बल्कि एक्शन चाहिए। यही नहीं आन्दोलन के दौरान जो 750 किसान शहीद हुए उनके परिजनों को समुचित मुआवजा, उनकी स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाए जाने और आन्दोलन के दौरान किसानों व उनके नेताओं पर दर्ज हुए मुकदमों की वापसी के मुद्दों पर भी केन्द्र सरकार से बात होनी है।यही नहीं पराली जलाने के नाम पर किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है, इसमें किसानों की क्या गलती है। सरकार हम किसानों का ऐसा बीज उपलब्ध क्यों नहीं करवाती जिससे पराली के बगैर धान पैदा हो सके, हमें पराली जलाने का शौक नहीं है। इसी तरह बिजली पर यह एक नया कानून ला रहे हैं कि जिसके दो पशु होंगे उसे बिजली का कामर्शियल कनेक्शन लेना होगा, दूध के व्यापार के लिए बाहरी कम्पनियों को यहां ला रहे हैं जो 22 रूपये लीटर की दर से दूध बेचेंगी तो ऐसे में अपने देश का पशुधन तो खत्म हो जाएगा।

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