सुलतानपुर के तुराबखानी गांव में हुआ हज़रत इमामे हुसैन का बिस्वा; अंजुमनों ने पेश किया नौहा-मातम
सुलतानपुर कर्बला में 10 मोहर्रम सन 61 हिजरी में हज़रत इमामे हुसैन और उनके 71 साथियों व घर वालों की शहादत के ठीक बीस दिन बाद उन शहीदों का बिस्वा मनाया जाता है़। शहर से तुराबखानी गांव में इस मौके पर रात भर शब्बेदारी और सुबह नमाज़े फज्र के बाद ताबूत बरामद करके कर्बला वालों को याद किया जाता है।बुधवार रात यहां सबसे पहले सै. सलमान आब्दी बंगलौर ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने दो चीजे छोड़ी हैं, एक किताब और दूसरे अपने अहलेबैत। मौलाना ने कहा कि उसे यूं समझे फेस और बुक। वहीं आजकल ऑनलाइन सिस्टम से हो रही अजादारी को लेकर मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन को ऑनलाइन अजादार नही पसंद हैं। उन्होंने इसके लिए सबूत देते हुए कहा कि कर्बला की याद में अजादारी बरपा करने का सलीका हजरत इमाम हुसैन के बेटे इमामे सज्जाद ने हमें सिखाया है़। इमामे सज्जाद फर्श बिछाकर उस पर बैठकर कर्बला वालों पर आंसू बहाते थे। मौलाना के बयान के बाद अंजुमन असगरिया क़दीम अमहट, अंजुमन रिज़विया हसनपुर, अंजुमन सिपाहे हुसैनी भनौली मुसाफिरखाना, अंजुमन असगरिया अमहट, अंजुमन हुसैनिया उन्नाव और अंजुमन सज्जादिया जलालपुर अंबेडकर नगर ने नौहा खानी और सीना जनी पेश की। लखनऊ से तशरीफ लाए मौलाना तनवीर अब्बास, अंबेडकरनगर से तशरीफ लाए मौलाना शारिब अब्बास आदि उलेमाओं ने तकरीर के फराएज को अंजाम दिया। वहीं जीशान आजमी साहब ने कार्यक्रम का संचालन किया। ये जानकारी आलम सुल्तानपुरी ने दिया है़।

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