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लॉकअप में बंदी की मौत के मामले में मानावाधिकार आयोग ने प्रशासन से रिपोर्ट मांगा

 


सुलतानपुर ।3 मई 2021 को कुड़वार थाने के लॉकअप में बंदी राजेश कोरी की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है़। मानावाधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लेकर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगा है़। इसके लिए उपजिलाधिकारी ने बयान दर्ज कराने के लिए सूचना जारी किया, जिसमें उन्होंने लॉकअप में बंदी की मौत का कारण शर्ट से फांसी लगाना बताया है़। लेकिन अब सवाल बड़ा है़, और वो ये कि जब बंदी ने फांसी लगाकर सुसाइड किया तो आखिर फिर तत्कलीन एसओ, दरोगा और सिपाही पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया? बता दें कि राजेश कोरी प्रकरण का संज्ञान उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने लेकर 11 जून को एक पत्र जिला प्रशासन को लिखकर रिपोर्ट मांगा था। इस संदर्भ में जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने उपजिलाधिकारी सदर रामजीलाल को मजिस्ट्रेटीरियल जांच सौंपी थी। आयोग को आख्या भेजने के बाबत उपजिलाधिकारी सदर रामजीलाल ने सोमवार 14 जून को एक सूचना जारी किया कि घटना से संबंधित जिसे अपना बयान दर्ज कराना है़ वो दस दिनो में आकर बयान दर्ज करा सकता है़।उक्त सूचना पत्र में एसडीएम रामजीलाल द्वारा दर्शाया गया है़ कि कुड़वार थाना क्षेत्र के जगदीशपुर गांव निवासी राजेश कोरी ने थाने के हवालात के बाथरूम में शर्ट से फांसी लगा लिया था। उन्होंने लिखा कि गंभीर हालत में उसे प्राथमिक उपचार के लिए हेड कांस्टेबल बृजेश सिंह और होमगार्ड राम लल्लन उपाध्याय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुड़वार लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उसे 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेज दिया था। जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। बता दें कि इसी मामले में पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन मिश्रा ने तत्कलीन एसओ अरविंद पाण्डेय, दरोगा शस्त्राजीत और सिपाही बृजेश सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया था। 4 जून को जब मामले ने राजनैतिक रूप ले लिया तो मृतक के परिवारीजनों की तहरीर पर तत्कलीन एसओ अरविंद पाण्डेय, दरोगा संजय यादव और सिपाही बृजेश सिंह के विरुद्ध हत्या और एससीएसटी का मुकदमा दर्ज कर दिया। सवाल वाजिब है़ जब मजिस्ट्रेट मान रहे हैं कि बंदी ने फांसी लगाई तो आत्महत्या के मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज करने की आवश्कता क्यों पड़ गई? इसका जवाब देने के लिए अब कोई अधिकारी तैयार नही है़।

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