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प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को दस हजार तक का कर्ज

 


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अपनी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल ‘पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि’ के तहत उत्तर प्रदेश के लाभार्थियों के साथ आभासी संवाद कर रहे हैं। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद हैं। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को दस हजार तक का कर्ज दिया जा रहा है।

वाराणसी के लाभार्थी अरविंद से संवाद के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा कि मोमोज कैसे बनाते हैं। उन्होंने पूछा कि आपको कैसे मदद मिली। इसपर अरविंद ने बताया कि केवल आधार कार्ड मुझे लोन मिल गया और फिर मेरा काम शुरू हो गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मैं बनारत आता हूं तो कोई मुझे मोमोज नहीं खिलाता है।प्रधानमंत्री ने आगरा की प्रीति से बात की। प्रीति ने बताया कि लॉकडाउन के समय उन्हें काफी परेशानी हुई। नगर निगम की तरफ से हमें मदद मिली और फिर से हमने अपने काम शुरू किया। इसी बीच प्रधानमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया कि अधिकारी आपसे मिलकर समस्याओं को दूर करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में स्ट्रीट वेंडर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। उत्तर प्रदेश से जो पलायन होता था उसे कम करने में भी रेहड़ी-पटरी के व्यवसाय की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए पीएम स्वनिधि योजना का लाभ पहुंचाने में भी उत्तर प्रदेश आज पूरे देश में नंबर वन है।आज हमारे रेहड़ी-पटरी वाले साथी फिर से अपना काम शुरु कर पा रहे है। आत्मनिर्भर होकर आगे बढ़ रहे है। 1 जून को पीएम स्वनिधि योजना को शुरु किया गया था। 2 जुलाई को ऑनलाइन पॉर्टल पर इसके लिए आवेदन शुरु हो गए थे। योजनाओं पर इतनी गति देश पहली बार देख रहा है।मेरे गरीब भाई बहनों को कैसे कम से कम तकलीफ उठानी पड़े, सरकार के सभी प्रयासों के केंद्र में यही चिंता थी। इसी सोच के साथ देश ने 1 लाख 70 हजार करोड़ से गरीब कल्याण योजना शुरू की।आज का दिन आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन है। कठिन से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला ये देश कैसे करता है, आज का दिन इसका साक्षी है। कोरोना संकट ने जब दुनिया पर हमला किया, तब भारत के गरीबों को लेकर तमाम आकांक्षा व्यक्त की जा रही थी।हमारे रेहड़ी-पटरी वालों की मेहनत से देश आगे बढ़ता है। ये लोग आज सरकार का धन्यवाद दे रहे हैं, लेकिन मैं इसका श्रेय सबसे पहले बैंक कर्मियों की मेहनत को देता हूं। बैंक कर्मियों की सेवा के बिना ये कार्य नहीं हो सकता था।





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