मन की बात-लोकल खिलौने के लिए बनना है वोकल
नई दिल्लीः आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के तहत देश को संबोधित कर रहे हैं. यह 'मन की बात' कार्यक्रम का 68वां संस्करण है. कार्यक्रम ‘मन की बात’ को देशभर में आकाशवाणी और दूरदर्शन नेटवर्क पर प्रसारित किया जा रहा है. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 26 जुलाई को 'मन की बात' कार्यक्रम के 67 वें संस्करण के तहत देश को संबोधित किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है.हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे ध्यान में आयेगी - हमारे पर्व और पर्यावरण.. इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता रहा है. इन दिनों ओणम का पर्व भी धूम-धाम से मनाया जा रहा है . ये पर्व चिंगम महीने में आता है. इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं, ओनम-सादिया का आनंद लेते हैं, तरह-तरह के खेल और प्रतियोगिताएं भी होती हैं.पीएम मोदी ने कहा कि हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है. उन्होंने कहा कि कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा. साथियो, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने. हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें, भारत, खिलौनों के प्रोडक्शन का बहुत बड़ा हब कैसे बने.पीएम मोदी ने कहा कि साथियों, खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं.बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं.भारत के कुछ क्षेत्र खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं.पीएम मोदी ने कहा कि अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा. पीएम ने कहा कि अब जैसे आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में श्रीमान सी.वी. राजू हैं. उनके गांव के एति-कोप्पका खिलौने एक समय में बहुत प्रचलित थे. इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई कोण नहीं मिलता था.सी.वी. राजू ने एति-कोप्पका ट्वाएड के लिये, अब, अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया मूवमेंट शुरू कर दिया है. बेहतरीन क्वालिटी के एति-कोप्पका खिलौने बनाकर सी.वी. राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है.हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे ध्यान में आयेगी - हमारे पर्व और पर्यावरण.. इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता रहा है. इन दिनों ओणम का पर्व भी धूम-धाम से मनाया जा रहा है . ये पर्व चिंगम महीने में आता है. इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं, ओनम-सादिया का आनंद लेते हैं, तरह-तरह के खेल और प्रतियोगिताएं भी होती हैं.पीएम मोदी ने कहा कि हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है. उन्होंने कहा कि कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा. साथियो, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने. हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें, भारत, खिलौनों के प्रोडक्शन का बहुत बड़ा हब कैसे बने.पीएम मोदी ने कहा कि साथियों, खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं.बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं.भारत के कुछ क्षेत्र खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं.पीएम मोदी ने कहा कि अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा. पीएम ने कहा कि अब जैसे आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में श्रीमान सी.वी. राजू हैं. उनके गांव के एति-कोप्पका खिलौने एक समय में बहुत प्रचलित थे. इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई कोण नहीं मिलता था.सी.वी. राजू ने एति-कोप्पका ट्वाएड के लिये, अब, अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया मूवमेंट शुरू कर दिया है. बेहतरीन क्वालिटी के एति-कोप्पका खिलौने बनाकर सी.वी. राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है.
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