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सूंघने की क्षमता स्वाद न चख पाने पर भी कोरोना टेस्ट कराना पड़ सकता है


नई दिल्ली।कोरोना वायरस के मामलों में पाया गया है कि रोगियों के सूंघने और स्वाद महसूस करने की क्षमता में कमी आ जाती है। अब सरकार कोरोना को लेकर जल्द ही नया एक्शन प्लान बनाने जा रही है। अगर सब कुठ ठीक रहा तो सूंघने और स्वाद चखने की क्षमता में कमी को भी कोविड-19 टेस्ट का हिस्सा बनाया जा सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में कोविड से निपटने के लिए गठित की गई राष्ट्रीय टास्क फोर्स द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया। नाम न छापने की शर्त पर पैनल के ही एक सदस्य ने बताया, 'फिलहाल इस पर मुद्दे पर चर्चा हो रही है कोई निर्णय नहीं लिया गया है।' बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षणों को सर्वप्रथम जनवरी में कोविड टेस्टिंग का हिस्सा बनाया गया था। बाद में मई आते-आते गैस से जुड़ी बीमारियां मसलन डायरिया और उल्टियां को भी जोड़ा गया। वर्तमान में किसी भी व्यक्ति का कोरोना टेस्ट करने के लिए 13 लक्षणों और संकेतों पर ध्यान दिया जाता है, जिन्हें बीते माह ही संशोधित किया गया। जैसे बुखार, खांसी, दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, सांस फूलना, नौसिया,  सीने में दर्द, शरीर में दर्द, गले में खराश, नाक से पानी निकलना। एक या अधिक लक्षणों वाले किसी भी रोगी को टेस्ट की अनुमति दी जाती है। अब जब सूंघने और स्वाद चखने में कमी महसूस करने जैसे लक्षणों को भी जोड़ा जाता है तो एक रोगी को लगभग एक से 15 लक्षणों की रिपोर्ट देनी होगी।अप्रैल में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कई यूरोपीय संघ देशों के साथ मिलकर गंध और स्वाद की कमी को इस अनजान बीमारी के प्रमुख लक्षणों में जोड़ा था। यूके ने 18 मई को कोविड-19 लक्षण की अपनी सूची में इसे शामिल किया। लासेंट में प्रकाशित एक मेडिकल जर्नल की माने तो समुदाय संक्रमण रोकने के लिए यह अहम है कि लक्षणों का संयोजन कर उनकी पहचान की जाए। भारत में कोविड रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि पात्रता मानदंडों का विस्तार करने से मामलों की पहचान करने में मदद मिलेगी।मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम के डॉक्टर यतिन मेहता बताते हैं, 'सूंघने की क्षमता खोने या स्वाद चखने में दिक्कत महसूस करने वाले बड़ी संख्या में अपना टेस्ट करवाना चाहते हैं। हालांकि बुखार, गले में खराश और खांसी के मरीजों के साथ इन लोगों के साथ तुलना नहीं की जा सकती है। हम इन लक्षणों के साथ कोरोनो के रोगियों को देखते हैं, इसलिए इसे कोविड परीक्षण के मानदंडों की सूची में शामिल करने में कोई बुराई नजर नहीं आती।'


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