सपा के पूर्व विधायक ने मृतक श्रमिक मजदूरों की याद में व्यापक स्तर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया
सुलतानपुर।अनंत सफर पर निकल पड़े थे घर न पहुंचे वह मजदूर उनकी दहशत इन की वहशत कभी न होगी दिल से दूर||
कितना प्रभावी संयोग है कि आज की तारीख एक परिवर्तनकारी इतिहास को दोहराने जा रही है आज से पहले 5 जून 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने संपूर्ण क्रांति आंदोलन का शंख फूँका था.यह आंदोलन था एक दमनकारी भ्रष्ट और तानाशाह शासन के प्रति, यही वह आंदोलन था जिसने भविष्य के आपातकाल का बीजारोपण कर दिया था यही वह आंदोलन था जिसने बहरे तानाशाह शासन के कानों में विरोध का बम फोड़ दिया था.
यह हमारे लिए गौरव का क्षण है क्योंकि आज हम सब भी एक ऐसे ही संपूर्ण क्रांति आंदोलन का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इस आंदोलन में छिपा है पटरी पर बिखरी रोटी और टुकडो में छितराए शवों का दर्द अपने मृत बच्चे की लाश के लिए बिलखती मां का दर्द, रास्ते में भूखे-प्यासे पैदल जाते छोटे-छोटे बच्चों का दर्द, मार्ग में प्रसव के बाद सड़क पर अपने लहू के पदचिन्ह छोड़ती सद्या प्रसूता का दर्द, बीमार दोस्त की लाश लिए सड़क पर बैठे दोस्त का दर्द, बैल मर जाने पर उसकी जगह खुद खड़े होने वाले बेटे का दर्द, मरे जानवर को खाने के लिए अभिशप्त का दर्द.
हमें यकीन है कि यह बे- आवाज दर्द तानाशाह और संवेदनहीन सरकार के बहरे कानों को खोलने वाला बम बनेगा. इसी आशा में हमारा यह बे-आवाज प्रदर्शन उनके लिए जो चले तो घर के लिए थे लेकिन कभी पहुंच ना सके.
कितना प्रभावी संयोग है कि आज की तारीख एक परिवर्तनकारी इतिहास को दोहराने जा रही है आज से पहले 5 जून 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने संपूर्ण क्रांति आंदोलन का शंख फूँका था.यह आंदोलन था एक दमनकारी भ्रष्ट और तानाशाह शासन के प्रति, यही वह आंदोलन था जिसने भविष्य के आपातकाल का बीजारोपण कर दिया था यही वह आंदोलन था जिसने बहरे तानाशाह शासन के कानों में विरोध का बम फोड़ दिया था.
यह हमारे लिए गौरव का क्षण है क्योंकि आज हम सब भी एक ऐसे ही संपूर्ण क्रांति आंदोलन का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इस आंदोलन में छिपा है पटरी पर बिखरी रोटी और टुकडो में छितराए शवों का दर्द अपने मृत बच्चे की लाश के लिए बिलखती मां का दर्द, रास्ते में भूखे-प्यासे पैदल जाते छोटे-छोटे बच्चों का दर्द, मार्ग में प्रसव के बाद सड़क पर अपने लहू के पदचिन्ह छोड़ती सद्या प्रसूता का दर्द, बीमार दोस्त की लाश लिए सड़क पर बैठे दोस्त का दर्द, बैल मर जाने पर उसकी जगह खुद खड़े होने वाले बेटे का दर्द, मरे जानवर को खाने के लिए अभिशप्त का दर्द.
हमें यकीन है कि यह बे- आवाज दर्द तानाशाह और संवेदनहीन सरकार के बहरे कानों को खोलने वाला बम बनेगा. इसी आशा में हमारा यह बे-आवाज प्रदर्शन उनके लिए जो चले तो घर के लिए थे लेकिन कभी पहुंच ना सके.
सपा से पूर्व विधायक अनूप संडा ने राम मनोहर लोहिया पार्क के सामने मृतक श्रमिक और मजदूरों के याद में प्रदर्शन किया आज ये मूक प्रदर्शन सुल्तानपुर विधानसभा क्षेत्र के समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र के कोने कोने में लगभग 200 स्थानों पर किए।
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