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बुद्धिज्म ने समूची एशिया के बौद्धिक चिंतन को एक नया आयाम दिया

कादीपुर (सुलतानपुर ) । ' बौद्ध धर्म ने भारतीय संस्कृति को दुनिया के हर कोने में पहुंचाया । बुद्ध आज भी प्रासंगिक हैं । ' यह बातें ईश्वर शरण डिग्री कालेज ,प्रयागराज के प्राचार्य प्रोफेसर आनंद शंकर सिंह ने कहीं । श्री सिंह संत तुलसीदास पी.जी. कालेज में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज कोलकाता द्वारा ' समय के प्रवाह में बौद्ध धर्म : दक्षिण पूर्वी एशिया के संदर्भ में ' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर विषय प्रवर्तक सम्बोधित कर रहे थे ।
 संगोष्ठी के मुख्य अतिथि बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के शिक्षा संकायाध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद झा ने कहा -' बुद्धिज्म ने समूची एशिया के बौद्धिक चिंतन को एक नया आयाम दिया
है। भारत में उत्पन्न बौद्ध धर्म ने अपनी सहजता और सरलता के कारण आज एशिया में अपना स्थाई घर बना लिया है ।'
 संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि जापान से आये वर्ल्ड बुद्धिस्ट मिशन के इंटरनेशनल  प्रेसिडेंट वेन रवि मेधांकर ने कहा - 'बौद्ध धर्म की जन्मस्थली होने के कारण भारत पूरी दुनिया में प्रणम्य है । एशियाई देशों से भारत के प्रगाढ़ सम्बंध में बौद्ध धर्म की महती भूमिका है । '
 संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता गया कालेज ,बिहार के प्राचीन भारतीय एवं एशियाई अध्ययन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर महेश कुमार शरण व संचालन डॉ.सतीश कुमार सिंह ने किया ।
आगंतुकों का स्वागत महाविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ.इंदुशेखर उपाध्याय व आभार ज्ञापन प्राचार्य डॉ.जीतेंद्र तिवारी ने किया । संगोष्ठी संयोजक डॉ. समीर कुमार पाण्डेय ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया ।
संगोष्ठी के द्वितीय तकनीकी सत्र में शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो.आदित्य नरायण त्रिपाठी ने कहा - 'बौद्ध धर्म ब्राह्मणीय धर्म का पूरक था । बौद्ध काल में कभी भी वैदिक शिक्षा की उपेक्षा नहीं हुई ।'
इस सत्र की अध्यक्षता आर.आर.पी.जी.कालेज अमेठी के प्राचार्य डॉ.त्रिवेणी सिंह ने की । संगोष्ठी में दो दर्जन से अधिक शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र का वाचन किया । संगोष्ठी में पूर्व प्राचार्य डा.अब्दुल रसीद , डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु' , डा .शैलेन्द्र पाण्डेय ,डॉ. मदन मोहन सिंह ,डा.श्याम बहादुर सिंह ,डा. सुरेन्द्र प्रताप तिवारी ,ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' समेत अनेक विद्वान उपस्थित रहे ।

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