वैज्ञानिक ऐसी तकनीक विकसित करें जो मौसम का सटीक पूर्वानुमान, बिजली गिरने, बादल फटने की अग्रिम चेतावनी दे सके
लखनऊ यूपी में पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार तथा रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन्स सेंटर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उ0प्र0 के संयुक्त तत्वाधान में लखनऊ के योजना भवन में विकसित भारत 2047 के निर्माण हेतु उ0प्र0 के परिपेक्ष्य में अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग विषयक एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम इसरो के चेयरमैन डॉ0 वी. नारायणन के मुख्य अतिथि तथा मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित किया गया, जिसमें अंतरिक्ष तकनीकी एवं विकसित भारत 2047 पर विचार मंथन किया गया। कार्यशाला में स्पेस कार्यक्रमों के संबंध में 02 तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसमें गृह विभाग, नगर विकास, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, शहरी विकास, जैव एवं खनन, कृषि, भूमि सुधार, भूजल, राजस्व, यूपीडास्प आदि विभागों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया और प्रदेश में स्पेस तकनीक व रिमोट सेंसिंग के प्रयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।कार्यक्रम में इसरो के चेयरमैन, सचिव अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार, अध्यक्ष स्पेस कमीशन डॉ0 वी नारायणन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2047 तक विकसित एवं समृद्ध राष्ट्र ही नहीं बनेगा बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीक में भी दुनिया का नं0 वन राष्ट्र होगा। भारत की अंतरिक्ष प्रगति पर दुनिया को गर्व है। पहले भारत के राकेट केवल 35 किग्रा0 भार ले जाते थे, लेकिन अब 10 हजार किग्रा0 तक भार वहन करने वाले छठी पीढ़ी के उन्नत राकेट बनाये जा रहे हैं। शीघ्र ही भारत का भी अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, जल्द ही लॉन्चिंग पैड पर इसका परीक्षण किया जाएगा, यह एक छोटा सा प्रयास होगा लेकिन भविष्य के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा। चंद्रयान-02, 03 एवं 04 के मिशन पर कार्य हो रहा, जिससे आगे हमें अंतरिक्ष में मानव भेजने में सफलता मिलेगी। इसके साथ ही स्पेस तकनीक और रिमोट सेंसिंग के माध्यम से सामान्य लोगों के जीवन को आसान बनाने के भी प्रयास किए जा रहे, इसके माध्यम से पानी, खाद्य पदार्थों, फसलों की सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, बाढ़ नियंत्रण, मौसम का पूर्वानुमान की सटीक जानकारी के लिए कार्य किया जा रहा। इसके सहयोग से आईटी, हेल्थ, एग्रीकल्चर, अपराध नियंत्रण, आपदा प्रबंधन एवं देश की सीमा सुरक्षा को भी मजबूत किया जा रहा है। कहा कि भारत जैसे विविध देश में प्रत्येक राज्य की अंतरिक्ष तकनीक से जुड़ी आवश्यकतायें अलग-अलग हैं। इसरो का दायित्व है कि वह प्रत्येक राज्य की विशेष जरूरतों के अनुसार समाधान विकसित करे। उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर राज्य में स्पेस टेक्नालोजी से अवगत कराया।प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 140 करोड़ देशवासियों के साथ 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। प्रदेश में रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस सेंटर की स्थापना वर्ष 1982 में हुई, विभिन्न क्षेत्रों के विकास में अंतरिक्ष तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इससे क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे। आज प्रत्येक विभाग किसी न किसी रूप में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग कर रहा है, जिससे योजनाएं अधिक प्रभावी बन रही हैं। भारत में कई दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ ऑप्टिकल फाइबर लगाना कठिन है। लेकिन इस तकनीक के माध्यम से आप्टिकल फाइबर लगाने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन की मदद से सुदूर क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी संभव हो पाई है। अंतरिक्ष तकनीक का प्रयोग अब केवल डेटा एकत्र करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह फसलों के ऑप्टिमाइजेशन और कृषि सुधार में भी उपयोगी है। उत्तर प्रदेश में बड़ी कृषि भूमि है, जहाँ मुख्य रूप से तीन प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं। सैटेलाइट द्वारा प्राप्त फसल संबंधित डाटा और जमीनी सत्यापन में काफी सटीकता पाई गई है। भूजल खोज में भी सैटेलाइट डाटा अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है और इसकी सटीकता अब 82-85 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। जलाशयों के निर्माण और योजना में भी रिमोट सेंसिंग डेटा महत्वपूर्ण है। आज हम रीयल टाइम डेटा अपडेट सैटेलाइट के माध्यम से प्राप्त कर पा रहे हैं, जिससे निर्णय प्रक्रिया अधिक तीव्र और प्रभावी हो गई है। हालांकि, आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतें और मौसम की सटीक जानकारी का अभाव अभी भी एक बड़ी चुनौती है। आवश्यकता है कि हम ऐसी तकनीक विकसित करें जो सटीक मौसम पूर्वानुमान और बिजली गिरने, बादल फटने की अग्रिम चेतावनी दे सके। कृषि क्षेत्र में फसल निगरानी से हम फसल की कीमतों का पूर्वानुमान लगाकर भाव निर्धारण प्रक्रिया को बेहतर बना सकते हैं। हमारे पास अब असीमित मात्रा में डेटा उपलब्ध है, लेकिन अब ज़रूरत है एक ऐसा डेटा सेट तैयार करने की जो आसानी से, तेज़ी से और सटीकता के साथ उपयोग में लाया जा सके। उन्होंने सभी विभागों को अपने-अपने डाटा को एकीकृत करने तथा रियल टाइम अपडेट रखने को कहा।निदेशक नेशनल रिमोट सेसिंग सेंटर, इसरो डा0 प्रकाश चौहान ने कहा कि विकसित भारत के साथ विकसित उ0प्र0 बनाने के लिए अंतरिक्ष तकनीक का सभी क्षेत्रों में जरूरी है। अंतरिक्ष तकनीकी का प्रयोग करके योजनाओं की गति को बढ़ाया जा सकता है। बेहतर जीवन के लिए स्पेस टेक्नालॉजी बहुत जरूरी है। इसके माध्यम से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पहचान, फसलों को नुकसान से बचाने, ओला पड़ने के पूर्वानुमान किया जा सकता है। इससे बाढ़ नियंत्रण, भूमि सुधान तथा मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है तथा शहरों की गर्मी को नियंत्रण करने के लिए थरमल डाटा का प्रयोग कर हीट प्रबंधन पर कार्य किया जा सकता है। प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पंधारी यादव ने कहा कि प्रदेश में रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन सेंटर की स्थापना से प्रदेश के विकास को गति मिल रही है। यह नोडल एजेंसी भी नामित है और उत्तरी भारत का एकमात्र केन्द्र है, जिसके माध्यम से कुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा है। सभी प्रकार के डाटा के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा। राज्य एवं जिला स्तर पर गोष्ठियां आयोजित की जा रही। प्रदेश के सभी विभागों में इस तकनीक का प्रयोग कर लोगों को सुविधायें दे रहे।कार्यक्रम में इसरो और प्रदेश के रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन सेंटर द्वारा तैयार की गयी, यूपी में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकताओं पर आधारित रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया और स्पेस अंतरिक्ष तकनीक से संबंधित इंडियन स्पेस ओडशी फिल्म का प्रदर्शन किया गया, जिसमें इसरो द्वारा किये गये अंतरिक्ष कार्यों को दिखाया गया। इसके पश्चात तकनीकी सत्र आयोजित किये गये। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार, डिप्टी जनरल मैनेजर रिजनल सेंटर (नार्थ) इसरो डा0 समीर सरन, विशेष सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी, निदेशक आरएसएसी शीलधर सिंह यादव, इसरो के वैज्ञानिक, रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन्स के अधिकारी उपस्थित थे।तकनीकी सत्र में गृह विभाग ने वास्तविक समय में अपराध निगरानी के लिए उपग्रह निगरानी का एकीकरण। उपग्रह-आधारित खुफिया जानकारी और विश्लेषण से स्मार्ट पुलिसिंग। अपराध, बचाव और आपदा संचालन; भीड़ की निगरानी; दूरस्थ/संपत्ति सुरक्षा। राजस्व विभाग ने भू-राजस्व रिकॉर्ड का आधुनिकीकरण। वर्तमान स्थिति में पुराने भू-राजस्व मानचित्रों की सटीकता। वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने वन संसाधन प्रबंधन में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी। जंगल संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का प्रबंधन। अतिक्रमण और अवैध कटाई की निगरानी; वन अग्नि नियंत्रण। भूविज्ञान और खनन विभाग ने भूविज्ञान और खनन में रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग, खनिज अन्वेषण, नई खनन योग्य रेत/खंड/गिट्टी/बोल्डर क्षेत्रों का सीमांकन और यूएवी मैपिंग। अवैध खनन निगरानी, यूपी में लीज के आसपास अवैध खदानों की निगरानी। बंजर भूमि विभाग ने सोडिक भूमि सुधार परियोजना, बंजर सोडिक भूमि को कृषि योग्य भूमि में बदलना, नगर विकास विभाग और आवास और शहरी नियोजन विभाग ने शहरी योजना, भूमि उपयोग, बुनियादी ढाँचा, जनसंख्या घनत्व का डेटाबेस का निर्माण। शहरी क्षेत्रों के विकास और अनधिकृत निर्माणों की निगरानी। नई सड़कों, जल पाइपलाइनों और जल निकासी प्रणालियों के लिए इष्टतम मार्गों की पहचान। कृषि विभाग ने प्रमुख फसलों के लिए सटीक फसल क्षेत्र और उपज का पूर्वानुमान। कृषि क्षेत्रों में सूखा और बाढ़ की वास्तविक समय की निगरानी। मिट्टी के स्वास्थ्य का मानचित्रण; फसल रोगों और कीटों का पता लगाना। भूजल विभाग ने मानचित्रों का उपयोग कर संभावित भूजल पुनर्भरण क्षेत्रों की पहचान आदि पर चर्चा की गयी। साथ ही आकाशीय बिजली का पूर्वानुमान, आपदा का पूर्वानुमान ताकि फसलों और जनमानस को बचाया जा सकें एवं मौसम का सटीक पूर्वानुमान से संबंधित तकनीकी विकास पर जोर दिया गया।
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