भक्ति रस में डूबी भगवान कुश की नगरी कुशभवनपुर
सुल्तानपुर मुम्बई एवं कोलकाता की तर्ज पर सुल्तानपुर में सिंदूर की होली जमकर खेली गई। महिलाओं ने मां का जयकारा लगाया। ऐतिहासिक दुर्गा पूजा महोत्सव के अंतिम दिन भक्ति रस में प्रभु श्रीराम के पुत्र भगवान कुश की नगरी कुशभवनपुर सुल्तानपुर डूबा रहा। दुर्गा पूजा महोत्सव में मां अम्बे पूजा पंडाल के समक्ष सुहागिन महिलाओं ने मां अम्बे की बंगला पद्धति से पूजा-अर्चना कर जमकर सिंदूर की होली खेली।
एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सदा सुहागिन होने की शुभकामनाएं दी। बंगला एवं भक्ति गीतों पर डांडिया एवं डांस कर सारी रात श्रद्धालु थिरकते रहे। महोत्सव में देश के कई राज्यों एवं कई जिलों से आए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने परिवार संग विभिन्न स्वरूपों में पूजा-पण्डालों में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमाओं का दर्शन किया और मेले का आनन्द लिया।
जहां मेले में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह स्वयंसेवी संस्थाओं एवं पूजा समितियों द्वारा आयोजित भण्डारे में प्रसाद ग्रहण किया वहीं मेले में लगे ठेले खोमचे, खिलौने एवं बिसात के सामानों की दुकान पर लोगों ने जमकर खरीददारी भी की। कई जगह लोग अपने हाथों एवं सीने पर अपना नाम लिखवाते एवं टैटू बनवाते नजर आए। सुरक्षा के बाबत प्रशासन की ओर से जगह-जगह काफी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे। बताते चलें कि सन 1959 में शहर के ठठेरी बाजार में भिखारी लाल सोनी ने प्रथम बड़ी दुर्गा की स्थापना की थी तब से अब तक प्रतिवर्ष मां दुर्गा की प्रतिमाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है। आज समूचे सुल्तानपुर जिले में 1 हजार से अधिक मां दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है। इसीलिए ऐतिहासिक दुर्गा पूजा महोत्सव में भारत मे कोलकाता के बाद सुल्तानपुर का नाम जाना जाता है।
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