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सुलतानपुर में हनुमान जन्मोत्सव पर बिजेथुआ धाम में होगा दीपोत्सव, तीन दिन तक राम कथा और भजन संध्या कार्यक्रम होगा आयोजित


सुलतानपुर कुशनगरी में जहां हनुमान जी ने 'कालनेमि राक्षस' का वध किया वह स्थान 'विजेथुआ महाबीरन धाम' के नाम से जाना जाता है। पिछले 42 वर्षों से इस स्थान पर हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा। संयोजक सत्या माईक्रो कैपिटल लिमिटेड के सीईओ विवेक तिवारी के अनुज गिरजेश तिवारी ने बताया इस बार यहां जन्मोत्सव कार्यक्रम में धाम पर जहां दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया है वही भव्य कथा और भजन संध्या का आयोजन किया गया है।गिरजेश तिवारी ने विजेथुआ महावीरन धाम पहुंचकर वहां दर्शन किया।उन्होंने बताया कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र विजेथुआ महावीरन धाम पर हर शनिवार और मंगलवार को लाखों लोग दर्शन करने आते है। वर्ष 1983 में पहली बार हमारे पिता द्वारा हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया। तब वे प्रधान हुआ करते थे। इसके बाद जो भी प्रतिनिधि यहां आया उसने इस परंपरा को बाक़ी रखा। अब हनुमान जी ने हम सबको इस सामर्थ में लाकर खड़ा किया है कि प्रति वर्ष भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। पिछले वर्ष अनूप जलोटा का कार्यक्रम हुआ था। इस बार तीन दिवसीय कार्यक्रम रखा गया है जो कि 9 नवंबर से आरंभ होगा और 11 नवंबर को इसका समापन होगा। प्रथम दिन दोपहर 2 बजे से 4 घंटे तक जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य कथा कहेंगे। फिर शाम 7 बजे से तीन घंटे पद्मश्री मालिनी अवस्थी भजन संध्या करेगी। 10 नवंबर को इसी प्रकार साध्वी डॉ विश्वेवरी देवी हनुमान कथा करेगी और पद्मश्री कैलाश खेर भजन संध्या करेंगे। कार्यक्रम के अंतिम दिन साध्वी डॉ विश्वेवरी देवी हनुमान कथा और पद्मश्री अनूप जलोटा भजन संध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने ये भी बताया कि उक्त कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के मंत्री शामिल होंगे।आपको बता दें कि विजेथुवा महावीरन धाम का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। हनुमान जी ने तालाब में स्नान करने के बाद कालनेमि राक्षस का वध किया था। तब से आज तक यहां हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, जिसका एक पैर जमीन में धंसा हुआ है। इसी की वजह से मूर्ति तिरछी है। यहां रहने वालों की मानें तो पुजारियों ने मूर्ति को सीधा करने के लिए खुदाई भी करवाई थी लेकिन 100 फिट से अधिक खुदाई करवाने के बाद भी मूर्ति का दूसरा सिरा नहीं मिला। प्रसिद्ध धाम में तालाब भी है, जहां हनुमान जी ने स्नान किया था। इस तालाब को मकरी कुंड के नाम से जानते हैं। कहा जाता है की दर्शन के लिए आए लोग पहले कुंड में स्नान करते हैं। कुंड में स्नान करने से पाप खत्म हो जाते हैं।रामायण में विजेथुवा महावीरन धाम का जिक्र मिलता है। जब श्रीराम और रावण के बीच चल रहे युद्ध में लक्ष्मण जी को बाण लगा और वो मूर्छित हो गए तो वैद्यराज सुषेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय की तरफ चले। हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने में असफल हो जाएं इसके लिए रावण ने अपने एक मायावी राक्षस कालनेमि को भेजा, ताकि वो रास्ते में ही हनुमान जी का वध कर दे। कालनेमि मायावी था और उसने एक साधु का वेश धारण कर रास्ते में राम-राम का जाप करना शुरू कर दिया। थके-हारे हनुमान जी राम-राम धुन सुन कर वहीं रुक गए। रामायण के अनुसार साधू के वेश में कालनेमि ने हनुमान जी से उनके आश्रम में रुक कर आराम करने का आग्रह किया। हनुमान जी उसकी बात में आ गए और उसके आश्रम में चले गए। उसने हनुमान जी से आग्रह किया कि वह पहले स्नान कर लें उसके बाद भोजन की व्यवस्था की जाए। हनुमान जी स्नान के लिए तालाब में गए जहां कालनेमि ने मगरमच्छ बनकर हनुमान जी पर हमला किया था।

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