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रिचार्ज न हुए नंबर और ई-सिम की जा रही धोखाधड़ी


लखनऊ डिजिटल लेन-देन बढ़ने के साथ साइबर फ्रॉड के मामले में तेजी से बढ़ रहे हैं। अपराधी आम लोगों को चूना लगाने के लिए नए-नए तरीके इंजाद कर रहे हैं। इन्हीं तरीकों में से एक है मोबाइल के सिम क्लोन कर डिजिटल लेन-देन पर साइबर फ्रॉड। यदि आप अपने मोबाइल नंबर को ज्यादा समय से रिचार्ज नहीं कराया और सिम खोने के बाद बंद भी नहीं कराया है, तो आप भी ठगी के शिकार हो सकते हैं। लखनऊ में ऐसे ही दो लोगों से 17 लाख 58 हजार की ठगी का मामला सामना आया है।साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने बताया, " बैंक खाते या किसी भी लेनदेन एप से जुड़े मोबाइल नंबर को समय पर रिचार्ज कराते रहना चाहिए। बैंक खातों से लिंक अप मोबाइल नंबर अचानक बंद हो जाए या इनकमिंग और आउटगोइंग न हो तो संबंधित कंपनी से बात करें। शक होने पर फौरन नंबर ब्लॉक कराकर बैंक खाते चेक करने के साथ पुलिस को सूचना दें।लखनऊ की साइबर टीम ने पिछले दिनों इंदिरानगर से अरबाज खान को गिरफ्तार किया। आरोपी सीतापुर और लखीमपुर से फर्जी KYC के जरिए बंद नंबरों के नए सिम जारी कराता था। जिनके नंबर ई-वायलेट से जुड़े होते थे। उनका सिम एक्टीवेट करा लेता था। उसके बाद उनके खातों से पैसा निकाल लेता। मोबाइल नंबर होने से ओटीपी आसानी से मिल जाता और पीड़ित को बैंक के मैसेज भी नहीं मिलते।साइबर टीम के मुताबिक साइबर ठग बैंक अकाउंट से जुड़े नंबर और बंद मोबाइल नंबरों को ऑनलाइन आसानी से कस्टमर केयर कर्मी बनकर हासिल करते है। फिर उन नंबर पर डि-एक्टिव ई-वॉलेट को रिएक्टिव करते है। इसको कराने के लिए KYC की जरूरत नहीं पड़ती। फिर इसका पैसा अपने वॉलेट में भेज देते हैं।साइबर क्राइम थाने के प्रभारी  ने बताया कि निजी सेल्युलर कंपनियां के सिम इस्तेमाल न करने के कारण एक निर्धारित समय बाद सिम बंद कर देती है। साथ ही उन्हें दूसरे व्यक्ति को मांग के आधार पर एलॉट कर रही हैं। इसके लिए नंबरों को ऑनलाइन अपलोड किया जाता है।यह गिरोह ऐसे सिम को दोबारा जारी कराकर धोखाधड़ी शुरू कर देते हैं। क्योंकि नंबर बंद होने के बाद कई लोग भूल जाते हैं कि उनका नंबर बैंक या ई-वॉलेट से जुड़ा है। इसके चलते गिरोह के सदस्य बैंक खाते की पूरे डाटा हैक कर लेते हैं। लोग पुराने नंबर पर सभी सेवाएं बंद होने से खाते से जुड़ी कोई जानकारी मिल नहीं पाती।

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