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एटा के फर्जी एनकाउंटर पर सीबीआई कोर्ट का फैसला आज


लखनऊ एटा में साल 2006 में हुए फर्जी एनकाउंटर में दोषी करार दिए गए 9 पुलिसवालों पर गाजियाबाद की सीबीआईI अदालत आज अपना फैसला सुनाएगी। थानाध्यक्ष समेत 9 पुलिसवालों को अदालत ने मंगलवार को दोषी करार दिया था। आज बुधवार को आफ्टर लंच इस केस पर अदालत का फैसला आ सकता है। इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।राजाराम पेशे से बढ़ई था। वो पुलिसवालों के घर भी काम करता था। एनकाउंटर में मारने के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश अज्ञात में दिखाई। अच्छे ढंग से जान-पहचान के बावजूद कागजातों में उसका नाम लिखना उचित नहीं समझा। राजाराम पर एक भी केस दर्ज नहीं था लेकिन पुलिस ने उसको डकैत बताकर मार दिया था। जिस सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में ये एनकाउंटर हुआ था, ये थाना आज कासगंज जिले में आता है।एटा के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में 18 अगस्त 2006 को एक एनकाउंटर पुलिस ने किया। इसमें राजाराम नामक एक व्यक्ति मारा गया। पुलिस के मुताबिक, ये डकैत था और कई घटनाओं में शामिल रहा था। पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि राजाराम उस रात को भी डकैती की वारदात करने के लिए जा रहा था। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली तो घेराबंदी की गई। जिसके बाद राजाराम ने पुलिस पर फायरिंग की और पुलिस की तरफ से चलाई गई जवाबी गोली में वो मारा गया। पत्नी संतोष कुमारी के अनुसार, राजाराम बढ़ई थे और उनके खिलाफ 1 भी केस दर्ज नहीं था। पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर किया था।मृतक राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी इस केस को हाईकोर्ट में ले गईं। उन्होंने अदालत को बताया, 18 अगस्त 2006 को बहन राजेश्वरी की तबियत खराब हो गई थी। पूरा परिवार राजेश्वरी को लेकर गांव पहलोई में डॉक्टर के पास जा रहा था। दोपहर के तीन बजे पहलोई और ताईपुर गांव के बीच ईंट भट्ठे के पास सिढ़पुरा थाने के थानाध्यक्ष पवन सिंह, सब इंस्पेक्टर श्रीपाल ठेनुआ, अजंत सिंह, कांस्टेबल सरनाम सिंह, राजेंद्र कुमार आदि अपनी जीप से पहुंचे और पूरे परिवार को रोक लिया। इसके बाद वे परिवार की आंखों के सामने राजाराम को अपनी जीप में डालकर ले गए।इसके बाद पूरा परिवार जब सिढ़पुरा थाने पर पहुंचा तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि राजाराम से एक केस के सिलसिले में पूछताछ करनी है। अगली सुबह उसे छोड़ दिया जाएगा। अगली सुबह जब राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी फिर से थाने पर गई तो पुलिस ने बताया कि उसको पहले ही यहां से घर भेजा जा चुका है। जबकि राजाराम घर नहीं पहुंचा था। 20 अगस्त 2006 को संतोष कुमारी को जानकारी हुई कि गांव सुनहरा के पास पुलिस ने एक एनकाउंटर किया है। अखबारों में मृतक की जो तस्वीर छपी, वो राजाराम की थी।23 अगस्त को संतोष कुमारी ने फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए 5 बार शिकायत पुलिस से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। एटा के SSP को कोरियर से शिकायती पत्र भेजा, लेकिन उन्होंने भी अनसुना कर दिया। इसके बाद संतोष कुमारी ने हाईकोर्ट की शरण ली। साल-2007 में हाईकोर्ट ने इस केस की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।सीबीआई ने एक जून 2007 को ये केस दर्ज किया और जांच करके 22 जून 2009 में 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी। इसकी सुनवाई गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में हुई।सीबीआईI अदालत में 4 दिसंबर 2015 को ये केस ट्रायल पर आया। कुल 202 गवाह अदालत में पेश हुए। सुनवाई के दौरान 10 में से 1 पुलिसकर्मी सब इंस्पेक्टर अजंट सिंह की मृत्यु हो चुकी है। सीबीआई की अदालत ने बीते मंगलवार को शेष जीवित 9 पुलिसकर्मियों को हत्या और साक्ष्य मिटाने का दोषी करार दिया। सजा पर आज यानि बुधवार को फैसला आना है।

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