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अपहरण कर हत्या व साक्ष्य मिटाने के प्रयास में तीन सगे भाइयों समेत पांच दोषियों को उम्र-कैद


सुलतानपुर अपहरण कर गोली मारकर हुई युवक की हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ राजेश नारायण मणि त्रिपाठी की अदालत ने तीन भाइयों समेत पांच दोषियों की सजा पर सोमवार को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने दोषी ठहराये गए सभी लोगों को उम्र-कैद एवं 67 -67 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।मामला अमेठी कोतवाली क्षेत्र के स्थानीय कस्बे से जुड़ा है। जहां पर 10 फरवरी 2015 की रात करीब साढ़े 10 बजे हुई घटना का जिक्र करते हुए अभियोगिनी शिवकुमारी सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक उसका लड़का संदीप सिंह उर्फ अजीत प्रताप सिंह स्टेशन रोड पर पनीर की सब्जी पैक कराने के लिए अपनी बहन अर्पिता सिंह के साथ गया था,जहां तिराहे पर उसके गैराज पर काम करने वाले लड़के सोहेल व अन्य से मुलाकात हुई। जिसके बाद सन्दीप अपनी बहन अर्पिता को वहीं रुकने की बात कहकर उन लड़को के साथ जाने की बात कहा। तभी आरोपीगण बृजेंद्र शुक्ला उसके भाई जितेंद्र शुक्ला, धर्मेंद्र शुक्ला,व अन्य सह आरोपी मिलकर संदीप सिंह को बुरी तरीके से मारते पीटते हुए नरसिंह दूबे के मकान में तीसरे मंजिले पर स्थित अपने जुए के अड्डे पर ले गये। जहां ले जाकर एक कमरे में संदीप को आरोपियों ने बंद कर दिया और उसे जमकर मारा-पीटा, इस घटना को अर्पिता ने भी देखा। तभी जाकर सोहेल व गैराज के अन्य लड़को ने संदीप की मां को इस घटना के बारे में बताया, जिस पर वह दौड़ती हुई आई। जिसके बाद संदीप की मां ने पुलिस को सूचना दी। बाद में जिस कमरे में संदीप को रखा गया था उसे खुलवाया गया तो उसमे संदीप की लाश मिली। आरोप के मुताबिक पिटाई करने के बाद गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सात लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ। फिलहाल मामले में रायपुर फुलवारी के रहने वाले आरोपीगण बृजेंद्र शुक्ला, उसके भाई जितेंद्र शुक्ला,धर्मेंद्र शुक्ला व सह आरोपी जितेंद्र जायसवाल उर्फ सतई एवं सह आरोपी राजेश अग्रहरी निवासी गंगागंज कस्बा अमेठी के खिलाफ गम्भीर धाराओं में आरोप-पत्र दाखिल हुआ। मिली जानकारी के मुताबिक बृजेन्द्र शुक्ला व उनके परिवार का कांग्रेस पार्टी से गहरा ताल्लुक रहा है। मामले का विचारण अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ की अदालत में चला। इस दौरान अभियोजन पक्ष से शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर शुक्ला व वादिनी के निजी अधिवक्ता अरबिंद सिंह राजा ने अभियोजन गवाहों को परीक्षित कराया और घटना को साबित करने में अहम भूमिका निभाई। वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अपने तर्को को प्रस्तुत कर आरोपियों को बेकसूर बताने का भरपूर प्रयास किया। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात सत्र न्यायाधीश राजेश नारायण मणि त्रिपाठी की अदालत ने तीन सगे भाइयों समेत पांचों आरोपियों को बीते दो सितंबर को अपहरण,हत्या, शव को छिपाने के प्रयास सहित अन्य आरोपों में दोषी ठहराया था। अदालत ने दोषियों की सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए पांच सितम्बर की तारीख तय की थी। जिनकी सजा पर सोमवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने उम्र-कैद व 67- 67 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।

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