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भारतेन्दु ने देखा था नये भारत का स्वप्न - इन्द्रमणि कुमार


सुलतानपुर  भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपने समय के अंधकार को पहचाना और एक नये भारत का स्वप्न देखा। उन्होंने हिंदी साहित्य में नई क्रांति की इसलिए उन्हें नवजागरण का अग्रदूत कहा जाता है।  यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष इन्द्रमणि कुमार ने कहीं।वे महाविद्यालय में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित भारतेन्दु जयंती को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि  भारतेन्दु ने देश की गरीबी, पराधीनता व शासकों द्वारा किए जा रहे अमानवीय शोषण के चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। सहायक आचार्य डॉ.विभा सिंह ने कहा कि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे।अध्यक्षता कर रहीं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.रंजना पटेल ने कहा कि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र प्रखर राष्ट्रवादी साहित्यकार थे। उन्होंने गुलाम भारत में नागरिकों को साहित्य के विविध माध्यमों से जागृत कर जन चेतना पैदा की थी ।इस अवसर पर विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थी मौजूद रहे।

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