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रक्षाबंधन आज, पर मुहूर्त रात 8.25 से 9.45 तक ही

 


आज रक्षाबंधन है। भद्रा नक्षत्र की वजह से राखी बांधने का मुहूर्त सिर्फ रात में 8.25 से 9.45 तक रहेगा। काशी विद्वत परिषद, बनारस, उज्जैन, हरिद्वार, पुरी और तिरुपति के विद्वानों का कहना है कि जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म न हो जाए तब तक रक्षाबंधन न करें। इसलिए रात 8.25 पर भद्रा के खत्म होने के बाद राखी बांधनी चाहिए।वहीं अगले दिन पूर्णिमा सुबह सिर्फ 2 घंटे तक ही रहेगी। इसलिए आज ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए।आज आयुष्मान, सौभाग्य और ध्वज योग रहेगा। साथ ही शंख, हंस और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं। गुरु-शनि वक्री होकर अपनी राशियों में रहेंगे। सितारों की ऐसी दुर्लभ स्थिति पिछले 200 सालों में नहीं बनी। इस महासंयोग में किया गए रक्षाबंधन सुख-समृद्धि और आरोग्य देने वाला रहेगा। इन ग्रह योगों के कारण पूरे दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त भी रहेगा।गणेशजी को राखी चढ़ाकर पर्व की शुरुआत करने का विधान ग्रंथों में बताया है। ऐसा करने से त्योहार के दौरान आने वाले तिथि दोष या अशुभ योगों का असर खत्म हो जाता है। इस पर्व पर भाई-बहन दूर हैं या किसी का भाई नहीं है तो बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना से भगवान गणेश या श्रीकृष्ण की मूर्ति को राखी बांध सकती हैं।श्रीकृष्ण ने भाई बनकर जिस तरह द्रोपदी की रक्षा की उसी भाव से श्रीकृष्ण को रक्षा सूत्र चढ़ाया जाता है। अन्य जगहों पर परंपरा के हिसाब से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक किसी भी शुभ मुहूर्त में भाई को राखी बांधी जा सकती है।भविष्य पुराण के मुताबिक, सबसे पहले इंद्र को उनकी पत्नी शचि ने रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे इंद्र को युद्ध में जीत मिली। वामन पुराण में बताया है कि लक्ष्मी जी ने भी राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था। इसके बाद वैदिक काल में निरोगी रहने, बुरी ताकतों और दुर्भाग्य से बचाने और लंबी उम्र की कामना से योग्य ब्राह्मण श्रवण नक्षत्र में लोगों को रक्षा सूत्र बांधते थे। बाद में ये ही सूत्र राखी में बदल गया और भाई-बहन का त्योहार बन गया।

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