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सीडीओ की अध्यक्षता में राज्य पोषण मिशन के अर्न्तगत जिला पोषण/कन्वर्जेंस/निगरानी समिति की बैठक हुई सम्पन्न


सुलतानपुर राज्य पोषण मिशन के अर्न्तगत जिला पोषण/कन्वर्जेंस/निगरानी समिति की बैठक मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में आज बुधवार को  कलेक्ट्रेट सभागार में कन्वर्जेन्स समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में आयोजित हुई।  बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी रवीश्वर कुमार राव द्वारा अवगत कराया गया कि नवनिर्मित आंगनबाडी केन्द्रों का लोकार्पण जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जाना है। जनपद को ग्रोथ मानिटरिंग डिवाइस उपयोग कर आगनबाडी केन्द्रों के लाभार्थियों के वजन करने एवं कुपोषित/अतिकुपोषित चिन्हांकन हेतु किया जा रहा है। जनपद में 0 से 6 वर्ष के कुल 255445 बच्चों में मैम 2433 व सैम 955 पाये गये, जिसमें अति तीव्र गम्भीर कुपोषित 33 बच्चों को एनआरसी संदर्भित किया गया। आपूर्ति निर्देश के अनुसार 6 माह से 3 वर्ष के 124066, 3 वर्ष से 6 वर्ष 76747, गर्भवती व धात्री महिलाएं 51938 लाभार्थियों को नेफेड द्वारा चना दाल, दलिया, इडिबिल आयल तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से कोटेदार से प्राप्त चावल आंगनबाड़ी केन्द्रों के द्वारा लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। यूनीसेफ से मण्डलीय कोआर्डिनेटर अनीता द्वारा बताया गया कि शासन द्वारा दिनांक 10 मई , 2022 से 30 जून, 2022 के मध्य No Water, Only Brsatfeeding Campaign' (पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान) का आयोजन किये जाने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश निर्गत किया गया है। अभियान का  उद्देश्य ‘‘6 माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित करना‘‘ है। मॉ का दूध शिशु के लिये अमृत समान है, शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिये यह आवश्यक है कि जन्म के एक घण्टे के अन्दर शिशु का स्तनपान प्रारम्भ करा दिया जाये व छह महीने की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान ही कराया जाये, परंतु समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण 6 माह तक केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। बल्कि परिवार के सदस्यों द्वारा शिशु को घुट्टी, शर्बत, शहद, पानी का सेवन करा दिया जाता है, जिससे शिशुओं में कई प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं, जो कि शिशु के स्वस्थ्य जीवन के लिये घातक सिद्ध होता है। उन्होंने बताया कि शिशु के प्यासा रहने की आशंका में उसे पानी पिला देने का प्रचलन गर्मियों में बढ़ जाता है। मॉ के दूध में अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ पानी भी पर्याप्त मात्रा में होता है और शिशु की पानी की आवश्यकता केवल स्तनपान से पूरी हो जाती है, क्योंकि माँ के दूध में लगभग 90 प्रतिशत पानी की मात्रा होती है। इस सम्बन्ध में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा बताया गया कि नवजात शिशु के प्रथम 1000 दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं, जिन्हे बीमारी मुक्त रखने से इम्यूनिटी बढती है। उन्होंने कहा कि डायरिया हो जाने से शिशु का विकास रूकता है व कुपोषण की स्थिति उत्पन्न होती है। पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार सम्बन्धित सभी विभागों द्वारा किया जाये। जिला पोषण/कन्वर्जेंस/निगरानी समिति की बैठक में जिला विकास अधिकारी, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी, उपायुक्त स्वतः रोजगार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, जिला पंचायतराज अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला सूचना अधिकारी, समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी, मुख्य सेविका, यूनीसेफ से समन्यक, यूपीटीएसयू आदि उपस्थित रहे।

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