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इंडिगो ने दिव्यांग बच्चे को फ्लाइट में चढ़ने से रोका ज्योतिरादित्य सिंधिया, बोले- ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं


नई दिल्ली इंडिगो एयरलाइंस की ओर से दिव्यांग बच्चे को विमान में चढ़ने से रोकने का मामला केंद्र तक पहुंच गया है। सोमवार को इसे लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद एयरलाइन के CEO ने माफी मांगी है।दरअसल, शनिवार को एक दिव्यांग लड़का अपने माता-पिता के साथ रांची एयरपोर्ट पहुंचा। इस दौरान उसे इंडिगो की रांची-हैदराबाद उड़ान में चढ़ने से रोक दिया गया, जिसके बाद उसके माता-पिता ने भी विमान की यात्रा नहीं करने का फैसला किया।मंत्री ने ट्विटर पर लिखा, 'ऐसे रवैये के लिए जीरो टॉलरेंस है। किसी भी इंसान को इससे नहीं गुजरना चाहिए! मामले की खुद जांच कर रहा हूं, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।' नागर विमानन महानिदेशालय ने भी इंडिगो से रिपोर्ट मांगी है। सोशल मीडिया पर शेयर होने के बाद इस मामले में कार्रवाई की गई है।मनीषा गुप्ता नाम की एक यात्री ने सोशल मीडिया पर इस घटना के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने लिखा कि शनिवार को रांची एयरपोर्ट पर एक दिव्यांग बच्चा फ्लाइट में चढ़ने से डर रहा था। उसके माता-पिता उसे शांत करने में लगे थे। इस बीच इंडिगो कर्मियों ने बच्चे को विमान में चढ़ाने से मना कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि इससे अन्य यात्रियों को खतरा है।गुप्ता ने बताया कि दूसरे यात्रियों ने इसका विरोध किया। उन्होंने SC के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि कोई भी एयरलाइन दिव्यांग यात्रियों के खिलाफ भेदभाव नहीं कर सकती। प्लेन में डॉक्टरों का भी ग्रुप था, जिसने बीच रास्ते में बच्चे को कोई दिक्कत होने पर मदद की पेशकश की। इसके बावजूद इंडिगो कर्मियों ने बच्चे को विमान पर चढ़ने नहीं दिया।इंडिगो ने अपने CEO रोनोजॉय दत्ता के हवाले से सोमवार को स्टेटमेंट जारी करके कहा- '7 मई को रांची एयरपोर्ट पर दुर्भाग्यपूर्ण वाकया हुआ, जब एक दिव्यांग टीनेजर और उसके माता-पिता हैदराबाद की फ्लाइट में नहीं चढ़ पाए। इंडिगो के सभी कर्मचारी इस वायके को लेकर परेशान हैं। अप्रैल 2022 से लेकर अब तक हमने करीब 75 हजार दिव्यांगों को लेकर उड़ान भरी है। हमारे क्रू और एयरपोर्ट स्टाफ को खास ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि खास जरूरतों वाले यात्रियों को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा सके।'कंपनी ने आगे कहा- 'चेक-इन और बोर्डिंग प्रक्रिया के दौरान हम जाहिर तौर पर परिवार को ले जाना चाहते थे, लेकिन बोर्डिंग एरिया में टीनेजर काफी घबराया हुआ नजर आया। हालांकि, यात्रियों को विनम्र और सहानुभूति से ट्रीट करना हमारी सबसे अहम जिम्मेदारी है, लेकिन सेफ्टी गाइडलाइन्स को देखते हुए एयरपोर्ट स्टाफ को एक मुश्किल फैसला लेना पड़ा। इस घटना के सारे पहलुओं की जांच करने के बाद, एक संस्थान के तौर पर हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मुश्किल घड़ी में हमने सबसे बेहतर निर्णय लिया।

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