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यूपी में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अब 70 साल की उम्र तक करेंगे नौकरी


लखनऊ मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र को 65 से बढ़ाते हुए 70 साल कर दी गई है। गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में तमाम फैसलों के बीच यह एक बड़ा और अहम फैसला हुआ। 65 साल की उम्र पर सेवानिवृत्त होने के बाद डॉक्टर पांच साल के पुनर्नियुक्ति पर तैनात किए जाएंगे।सभी निर्णय राजकीय और स्वशासी मेडिकल कॉलेजों समेत किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लोहिया संस्थान यानी डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और उप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों से जुड़ा यह अहम फैसला है। तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जा सकेगा।मंत्रिपरिषद की बैठक में बड़े शहरों में पहले से बने मेडिकल कॉलेज और छोटे जिले एवं ग्रामीण क्षेत्रों के मेडिकल कॉलेज के लिए अलग-अलग मानदेय तय किए गए हैं। गोरखपुर, प्रयागराज, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा जैसे पुराने मेडिकल कॉलेजों और किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी,, लोहिया संस्थान, सैफई मेडिकल कॉलेज के मेडिकल फैकल्टी को लास्ट ड्रॉन सैलरी यानी अंतिम वेतन आहरण में से पेंशन को घटाते हुए मानदेय देने का फैसला किया गया है। वहीं छोटे जिलों में बने या बनने वाले मेडिकल कॉलेजों के लिए 2.20 लाख प्रतिमाह मानदेय तय किया गया है। ताकि वहां काम करने के लिए डाॅक्टर दिलचस्पी दिखाएं। इसके दायरे में अंबेडकरनगर, बांदा, बदायूं, जालौन, कन्नौज, सहारनपुर के मेडिकल काॅलेज और सभी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय भी आएंगे। खास बात यह है कि पुनर्नियुक्ति पर भर्ती किए गए इन मेडिकल फैकल्टी से प्रशासनिक कार्य नहीं लिए जाएंगे। यह सभी प्रधानाचार्य, निदेशक, डीन, प्राॅक्टर और विभागाध्यक्ष के दायित्व से मुक्त रहेंगे। सिर्फ शोध और मरीजों के इलाज संबंधित कार्य देखेंगे।

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