वैक्सीनेशन देश को संक्रमण की तीसरी लहर से बचाएंगे
नई दिल्ली देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं को लेकर चर्चा फिर से जोरों पर है। ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी तीसरी लहर की आशंका नहीं है। कुछ कह रहे हैं कि अक्टूबर में आ सकती है। लेकिन, पिछला ट्रेंड और बदली हुई परिस्थितियां संकेत दे रही हैं कि तीसरी लहर कर खतरा बेहद कम है। वैज्ञानिक इसकी दो प्रमुख वजह बता रहे हैं। पहली- देश की 35% आबादी को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। अगले दो महीने में सिंगल डोज लगाने वालों की संख्या 50% पार हो सकती है।दूसरी वजह- देश की 65% आबादी में एंटीबॉडी पाई गई है। एंटीबॉडी संक्रमण होने के बाद ही बनती है। इसे हर्ड इम्युनिटी कहा जाता है। यानी, इतनी बड़ी आबादी को दोबारा संक्रमण का खतरा अगले छह महीने तक नहीं के बराबर है। क्योंकि, शरीर में एंटीबॉडी औसतन छह महीने तक रहती है।वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक, भारत में कोविड-19 अब एंडेमिक स्टेज में पहुंचता जा रहा है। इसके फैलने की दर पहले के मुकाबले काफी धीमी या कम हो चुकी है। तकनीकी तौर पर एंडेमिक स्टेज का मतलब किसी महामारी का असर कम लोगों या किसी खास इलाके तक सीमित रहने से है। इसके साथ ही वायरस भी कमजोर हो चुका होता है। इसके अलावा लोग भी इस बीमारी के साथ जीना सीख जाते हैं। भारत में दूसरी लहर के बाद कोरोना के मामले तेजी से कम हुए हैं।सौम्या ने कहा- हम उम्मीद करते हैं कि 2022 के आखिर तक हम 70% आबादी को वैक्सीनेट कर चुके होंगे। बच्चों को कोविड से होने वाले खतरे पर उन्होंने कहा- पैरेंट्स को डरने की जरूरत नहीं है। उनमें हल्के लक्षण ही ज्यादा होंगे। अब तक वे इस बीमारी से कम ही प्रभावित हुए हैं और हमने जो सर्वे कराए हैं, उनमें भी यही बातें सामने आई हैं। बहुत कम बच्चों में इसके गंभीर लक्षण पाए गए हैं। लेकिन, इसके बावजूद हमें तैयारी पूरी रखनी चाहिए। अस्पतालों में सही इंतजाम होने चाहिए। हजारों की तादाद में बच्चों को आईसीयू में पहुंचाना पड़े ऐसा नहीं होगा।
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